गतांक से आगे...
पायोनियर ग्रुप के चेअरमेन डॉॅ. प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि जितने लोग यहां बैठे हैं वे लोअर लेवल पर भी कम्प्यूटर का उपयोग नहीं करते हैं लेकिन मोबाइल कंपनियां कुछ न कुछ नया चेंज करते हुए हर बार नए मॉडल बाजार में ला रही हैं और आपकी मेहनत से कमाई गई पूंजी को छीन रही हैं। उन्हें पता है कि आपको प्रॉडक्ट कैसे बेचा जा सकता है। कंपनियों ने ग्राहकों को चस्का लगा दिया है। इस कारण बार-बार कहता हूं कि युवाओं को इंटेलीजेंट बनना होगा। सोचें कि हमारा परपज किससे पूरा होता है। आज यह स्थिति हो गई है कि कॉलेज में फीस देते हैं और डमी एडमिशन लेकर बाहर जाकर घूमते हैं। इस टाइप के वातावरण में बच्चे पढ़ रहे हैं। बाद में बोलते हैं कि कॉलेज अच्छा नहीं है। जब एडमिशन लेने आते हैं तब डायरेक्टर या चेअरमेन के पास जाकर पूछते हैं कि टीचर्स कैसे हैं जबकि वह तो किसी भी टीचर को नाम से तक नहीं जानते हैं। जब उनसे पूछा जाता है कि तुम कितनों को जानते हो तो जवाब मिलता है कि किसी को नहीं। अगला सवाल होता है कि सर लाइब्रेरी में कितनी किताबें हैं? जब उनसे पूछा जाता है कि तुम एक-दो किताबों के नाम तो बता दो तो जवाब नहीं दे पाते हैं। इसके बाद स्टुडेंट द्वारा कहा जाता है सर मैं एडमिशन तो ले लेता हूं लेकिन कॉलेज नहीं आऊंगा। कालेज प्रबंधन द्वारा कहा जाता है कि ठीक है मत आना। यह सुनते ही अगला सवाल पूछा जाता है- सर डिग्री लेने के बाद मेरी अच्छी नौकरी तो लग जाएगी?
सोचिए, बिना कुछ किए आप इतने ज्यादा की अपेक्षा कर रहे हैं। आप कुछ करना ही नहीं चाहते हैं और उसके बाद भी चाहते हैं कि अच्छा प्लेसमेंट हो जाए। यह विरोधाभास क्यों? ऐसे स्टुडेंट्स को परेशानी तब उठानी पड़ती है जब वे डिग्री लेने के बाद फील्ड में आते हैं... जहां उन्हें नीचे धरती और ऊपर आसमान नजर आने लगता है। तब समझ में आता कि दुनिया क्या है? चूंकि पढ़ाई का समय निकल चुका होता है तो पछताने के अलावा कुछ भी हाथ में नहीं रहता। इस स्थिति में अंतत: पूरे परिवार के लिए समस्या खड़ी होती है क्योेंकि कई युवा बिना कुछ किए बहुत कुछ एक्सपेक्ट करते हैं।
डॉ. जैन ने कहा कि कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद युवा जब किसी कंपनी में जाते हैं तो सबसे पहले यही पूछते हैं कि पैकेज कितना दोगे? यदि कंपनी कहती है कि 2 लाख का पैकेज है तो युवा द्वारा कहा जाता है कि यह तो बहुत कम है, तब कंपनी द्वारा पूछा जाता है कि तुम क्या काम कर सकते हो? बस यहीं से डिप्रेशन शुरू होता है। आपको काम तो करना ही पड़ेगा तभी तो कोई आपको सेलरी देगा। कंपनी आपसे कमाएगी तभी तब ही आपको अच्छा पैकेज देगी। यदि आपसे कंपनी 1 करोड़ रुपए कमाएगी तो आसानी से 10 लाख रुपए का पैकेज दे देगी। यह युवा पीढ़ी को समझना पड़ेगा कि बाहर जो वातावरण है उसमें काम करके देना ही पड़ेगा वर्ना आपको कुछ नहीं मिलने वाला है।
चेअरमेन डॉॅ. जैन ने कहा कि कई युवा किसी कंपनी को ज्वॉइन करने के कुछ महीनों बाद यह कहते नजर आते हैं कि मैने कंपनी चेंज कर दूसरी ज्वॉइन कर ली है जबकि वास्तविकता यह होती है कि कंपनी चेंज नहीं की गई बल्कि आप वहां से निकाल दिए गए हो। आज से बीस साल पहले लोग एक ही नौकरी तीस-तीस साल तक किया करते थे लेकिन आज तो बीस साल में डेढ़ सौ नौकरी कर लेते हंैं क्योंकि हर बार निकाल दिए जाते हो। युवाओं को इस बारे में विचार करना चाहिए। अपने तथा परिवार के भविष्य को ध्यान में रखते हुए पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए वर्ना स्थिति और बिगड़ती जाएगी।