गतांक से आगे...
पायोनियर ग्रुप के चेअरमेन डॉ. पी.के. जैन ने खुले सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में समय के साथ-साथ आपकी जिम्मेदारियां बढ़ती जाती हैं। जैसे-जैसे आप अविवाहित से विवाहित होते हैं और फिर पेरेंट बनते हैं आपकी जिम्मेदारी एक के बाद एक बढ़ती ही चली जाती है। बिना परेशानी के कोई चीज हासिल नहीं होती है। जैसे-जैसे जिम्मेदारियां आपके सिर पर आएंगी वैसे-वैसे आपकी परेशानियां भी बढ़ती चली जाएगी।
जो कुछ भी खुले सत्र में आपने सुना और जो कुछ भी आपको अच्छा लगा उसे अपनी जिंदगी में उतारने की कोशिश करें। इस संबंध में जो भी समस्याएं हैं उनका कोई एक निश्चित समाधान संभव नहीं है क्योंकि हर घर की स्थिति अलग है, हर परिवार अलग है, हर घर की आर्थिक स्थिति अलग है, हर एक का सोच-विचार अलग है... तो आपको अपने विवेक से तय करना होगा कि परिवार की क्या आवश्यकताएं हैं और उन्हें देख कर परिवार को कैसे खुशहाली की तरफ ले जाएं... यही इसका एकमात्र सॉल्युशन है।
बहुत से लोग पूछते हैं कि इस समस्या का सॉल्युशन क्या है? वास्तविकता यह है कि इस समस्या के समाधान का कोई थम्ब रूल, कोई यूनिवर्सल रूल हो ही नहीं सकता क्योंकि हमारे विचार, हमारी सोच लगातार बदलती रहती है। एक पल में कोई अच्छा है तो अगले पल वह खराब भी लगने लगता है। मैं अभी अच्छी बात बोल रहा हूं तो आपको अच्छा लगूंगा और थोड़ी देर बात किसी मुद्दे पर नाराज होकर कुछ बोलूंगा तो आपकी राय मेरे बारे में बदल जाएगी क्योंकि यह बातें परिस्थितियों से संबंधित हैं। किसी एक घटना से आप किसी के बारे में कुछ भी राय नहीं बना सकते। किसी का व्यवहार, किसी का चरित्र किसी एक घटना से नहीं जान सकते, आपको उसके बारे में पूरी तरह से सभी बातें जाननी होंगी। उसके लिए आपको उसके साथ समय बिताना पड़ेगा, उसे समझना पड़ेगा तब जाकर आप उसके बारे में निश्चित रूप से कुछ कह सकेंगे। यह कहना गलत है कि मां की जिम्मेदारी है, पिताजी की जिम्मेदारी है अथवा दादा-दादी की जिम्मेदारी है। यह कहना भी गलत है कि बच्चे बिगड़े हुए हैं। ऐसा कहीं कुछ नहीं है क्योंकि हर परिवार एक अलग यूनिट है और हर यूनिट की अलग-अलग समस्याएं हैं इसलिए आपको अपने विवेक का इस्तेमाल करके अपने परिवार को तथा खुद को खुश रखना है।