भाजपा नेता सत्तन बोले- तीन गांधियों ने कुर्बानी देकर आजादी को कायम रखा

इंदौर। भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा मप्र खादी-ग्रामोद्योग बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सत्यनारायण सत्तन हमेशा खरी-खरी सुनाते हैं। भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर उन्होंने कहा कि तीन गांधियों ने देश के लिए कुर्बानी दी और देश की आजादी को कायम रखा। शहीदों से प्रेरणा लें अन्यथा हमारी आजादी बोझ बन जाएगी और हम फिर से गुलाम हो जाएंगे। 
भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित ‘जरा याद करो कुर्बानी’ कार्यक्रम का आयोजन नेताजी सुभाष मंच और अभा स्वतंत्रता संग्राम उत्तराधिकारी संगठन द्वारा किया गया था। मुख्य वक्ता के रूप में सत्तन ने कहा कि 9 अगस्त-1942 को याद रखना इसलिए भी जरूरी है कि इसी दिन पहली बार महात्मा गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था। गांधीजी के दो पग के पीछे लाखों भारतवासियों के पग साथ हो गए थे। इसलिए इस दिन को आजादी का सूर्योदय कहा जा सकता है। देश की आजादी के आंदोलन में अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों ने कुर्बानी दी लेकिन आज हम उनकी कुर्बानियों को भुलाते जा रहे हैं। नई पीढ़ी को आजादी के संघर्ष और स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में अवगत कराना बहुत जरूरी है। 
सत्तन ने कहा कि 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के साथ ही हमारी आजादी में आतंकवाद की शुरूआत हुई थी। गांधीजी पर चलाई गई 3 गोलियां का सिलसिला 1984 में बढ़ कर 18 गोलियों तक जा पहुंचा। आतंकियों ने श्रीमती इंदिरा गांधी पर 18 गोलियां चला कर उनकी हत्या कर दी थी। गोलियों का सिलसिला आगे बढ़ते हुए बम तक जा पहुंचा और 1991 में राजीव गांधी को मानव बम ने हमसे छीन लिया। देश में इन तीन गांधियों ने अपनी कुर्बानी देकर हमारी आजादी को कायम रखा। आज हमें इस आजादी को बनाए रखने की जरूरत है। इसके लिए समय-समय पर स्वतंत्रता सेनानियों, उत्तराधिकारियों और वंशजों को याद करने के लिए समारोहों के आयोजन होने चाहिए ताकि नई पीढ़ी भी आजादी के बारे में जान सके। हमें शहीदों से प्रेरणा लेनी होगी अन्यथा हमारी आजादी बांझ हो जाएगी और हम फिर से गुलाम हो जाएंगे। 
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री रामेश्वर पटेल तथा विशेष अतिथि पूर्व महापौर डॉ. उमाशशि शर्मा थीं। इस अवसर पर स्वंत्रता सेनानी सर्वश्री श्यामकुमार आजाद, स्वरूप नारायण गौड़, गोपालसिंह सिलेदार, श्रीमती मालतीदेवी हलदुले, शहीदों के वंशज एमए फरियाद बहादुर, अजीत कुमार जैन, इंदिरा पुराणिक का शाल, श्रीफल और स्मृति चिह्न भेंट कर अभिनंदन किया गया।