ब्लू व्हेल गेम: इंदौर में छात्र ने की खुदकुशी की कोशिश

इंदौर। बच्चों के जीवन के लिए खतरनाक साबित हो रहे ब्लू व्हेल चैलेंज गेम का असर अब इंदौर तक पहुंच चुका है। गुरुवार को एक निजी स्कूल के सातवीं क्लास के छात्र ने गेम खेलते हुए तीसरी मंजिल से छलांग लगा कर आत्महत्या करने की कोशिश की। साथी बच्चों को जैसे ही इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत वहां पहुंच कर उसे पकड़ कर कूदने से रोक लिया। पुलिस ने इस मामले की पुष्टि की है।एएसपी रुपेश द्विवेदी के अनुसार मामला चमेली देवी स्कूल का है। यहां सातवीं क्लास में पढ़ने वाले 16 वर्षीय छात्र ने गुरुवार को ब्लू व्हेल गेम खेलते हुए अपने कुछ साथियों को बताया था कि वह पचासवीं टास्क को पूरा करने के लिए स्कूल बिल्ंिडग की तीसरी मंजिल पर जा रहा है और वहां टास्क पूरी करने के दौरान खुदकुशी कर सकता है। छात्र के साथियों ने इसे मजाक समझा लेकिन कुछ देर बाद ही छात्र उन्हें नजर नहीं आया तो वे सीधे तीसरी मंजिल की ओर भागे। वहां वह छात्र गेम की टास्क पूरी करने के लिए छत से कूदने जा रहा था। उसके साथियों ने बिना देर किए तुरंत उसे पकड़ लिया और टीचर्स को जानकारी दी। कुछ ही देर में यह खबर तेजी से फैली और मीडिया व पुलिस तक जा पहुंची। एएसपी द्विवेदी ने बताया कि मामले की सूचना मिली थी। छात्र नाबालिग है। उसके परिजनों को सूचना देकर छात्र को उनके हवाले कर दिया गया है। फिलहाल कोई केस दर्ज नहीं किया गया है।

क्या है ब्लू व्हेल चैलेंज गेम

यह गेम 2013 में सबसे पहले रूस में सामने आया था। 4 साल में इसने दुनिया भर में 250 से ज्यादा लोगों की जान ले ली। अकेले रूस में 130 से ज्यादा मौतें हुईं। अमेरिका से लेकर पाकिस्तान तक 19 देशों में इस गेम की वजह से खुदकुशी के कई मामले सामने आए। पिछले दिनों मुंबई के अंधेरी में 14 वर्षीय छात्र ने ब्लू व्हेल गेम की 50वीं टास्क पूरी करते हुए पांचवी मंजिल से छलांग लगा कर खुदकुशी कर ली थी। इस गेम में एक आॅनलाइन मास्टर खिलाड़ी को कठिन टास्क देता है। इसमें खुद के खून से ब्लू व्हेल बनाने, शरीर पर जख्म करने, दिन भर हॉरर फिल्म देखने, रात भर जागने जैसे काम दिए जाते हैं। इस गेम से खिलाड़ी निराशा में चला जाता है और आखिर में अपनी हिम्मत साबित करने के लिए खिलाड़ी चुनौती को स्वीकार करके खुदकुशी तक कर लेता है।

प्रतिबंध लगाने की मांग

मुंबई में छात्र द्वारा की गई खुदकुशी के बाद देश में यही सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसी जीत किस काम की, जब जीतने वाले की जिंदगी ही न रहे? अब भारत में भी इसे बैन करने की मांग उठने लगी है। संसद के दोनों सदनों में यह मामला उठ चुका है। 

गेम बनाने वाले की मानसिकता...

ब्लू व्हेल चैलेंज गेम बनाने वाले रूस के 22 साल के फिलिप बुडिएकिन ने एक इंटरव्यू में स्वीकार किया था कि हां, मैं लोगों को खुदकुशी के लिए उकसाता हूं। जो लोग अपनी जिंदगी की कद्र नहीं करते वे एक तरह से बायोलॉजिकल वेस्ट यानी जैविक कचरा हैं। मैं ऐसे ही लोगों को दुनिया से बाहर भेजने का काम कर रहा हूं। 

किशोरों ही बनते हैं निशाना

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार ब्लू व्हेल चैलेंज गेम 50 दिन में पूरा होता है। इस दौरान बच्चे गेम में दिखाए गए झूठ को सच समझने लगते हैं। वे भूल जाते हैं कि कोई भी गेम मनोरंजन और कुछ सीखने के लिए होना चाहिए न कि जान गंवाने के लिए। वे यह नहीं समझ पाते कि किसी भी जीत या रोमांच का मजा तभी है, जब जिंदगी हो। इसके अलावा किशोर अक्सर साथियों के प्रेशर में भी रहते हैं और आसानी से ना नहीं कर पाते। दूसरों से अलग दिखने और करने की चाह में भी वे इस अंधेरे में घिरते जाते हैं। कोई भी गेम, शरीर में ऐसे केमिकल रिलीज करता है, जो खुशी और उड़ान का अहसास कराते हैं। ऐसे खेल किशोरों को एक नकली दुनिया में ले जाते हैं।