एसडीएम बदलने से याचिकाकर्ता परेशानी में पड़े

 इंदौर। कलेक्टोरेट में इन दिनों रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट कोर्ट के केस की सुनवाई का सिलसिला थमा पड़ा हुआ है। याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता परेशान हो रहे हैं।जानकारी के मुताबिक रजिस्ट्रार ट्रस्ट के केस की सुनवाई नियमानुसार तो पूर्व में बुधवार-गुरुवार को होती थी। वर्तमान में इस विभाग का प्रभार एसडीएम बिहारीसिंह के पास है। इसके पहले इस विभाग का काम एसडीएम अजीत श्रीवास्तव देखते थे। श्रीवास्तव और उनसे पहले जितने भी एसडीएम ने इस विभाग का काम देखा है उनके कार्यकाल में कई पीड़ितों द्वारा ट्रस्टों के खिलाफ कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं। इनमें से अधिकांश याचिकाएं तो सिर्फ ट्रस्टों में हुई गड़बड़ी की थीं। प्रमुख रुप से ट्रस्ट डीड के नियमों के विपरीत ट्रस्ट का संचालन करना, प्रतिवर्ष की आॅडिट रिपोर्ट रजिस्ट्रार को नहीं देना आदि। इस तरह के कई मामलों की याचिकाओं की सुनवाई का सिलसिला फिलहाल थमा हुआ है। वर्तमान रजिस्ट्रार की ओर से पक्षकारों को न तो नोटिस जारी किए जा रहे हैं और न ही वे सुनवाई के लिए समय पर उपलब्ध रहते हैं। इसी कारण कई याचिकाओं का निराकरण अब तक नहीं हो पाया है। इस कोर्ट का नियम है कि जब भी एसडीएम का प्रभार बदलता है तो नए प्रभारी को पुराने केस का संचालन करने के लिए दोनों पक्षों को नोटिस जारी किए जाते हैं। इसके बाद फिर उस केस की सुनवाई का सिलसिला शुरू हो जाता है। वर्तमान में स्थिति यह हो रही है कि रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट की ओर से पक्षकारों को नोटिस जारी ही नहीं किए जा रहे हैं। इसलिए सुनवाई का सिलसिला थमा पड़ा है। सूत्रों की मानें तो रजिस्ट्रार कार्यालय में कई ट्रस्टों के केस तो आदेश पर ही हैं अर्थात अंतिम सुनवाई हो चुकी है केवल आदेश?जारी होना है। ऐसे कई प्रकरण रजिस्ट्रार द्वारा रखे गए एक साल से अधिक का समय बीत चुका है। इसके बावजूद भी उन प्रकरणों में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। याचिकाकर्ता सिर्फ ट्रस्ट कार्यालय आते हैं और उसके बाद आश्वासन लेकर पुन: लौट जाते हैं लेकिन आदेश जारी अब तक नहीं हो पाए हैं। खास बात यह है कि रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट का प्रभार देखने वाले एसडीएम के सामने एक ही मुसीबत रहती है। उन्हें शहर के साथ जिले प्रमुख कद्दावर नेताओं के दबाव के कारण कार्रवाई को हर बार टालना पड़ता है। इसलिए तो कई बड़ी ट्रस्टों के खिलाफ सुनवाई की कार्रवाई पूरी होने के बाद भी रजिस्ट्रार द्वारा अब तक उनमें आदेश जारी नहीं किए गए हैं।