इंदौर। बरसात में लंबी खेंच से शहर में मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के लक्षणों वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। लेकिन ऐसी स्थिति में मलेरिया विभाग पूरी तरह निष्क्रिय नजर आ रहा है। नगर निगम ने भी अब तक मच्छरों की रोकथाम के लिए कोई बड़ी पहल नहीं की है। शहर के कई इलाकों खजराना, चंदन नगर, मूसाखेड़ी, आजाद नगर, श्रमिक क्षेत्र के कई इलाकों, अन्नपूर्णा, गांधी नगर आदि क्षेत्रों में अभी भी मच्छरों की रोकथाम के लिए कहीं कोई पहल नहीं हुई है। इन क्षेत्रों में मच्छरजनित बीमारियां कहर बनी हुई हैं।
कलेक्टर निशांत वरवडे ने अंतर्विभागीय समन्वय संबंधी बैठक में निर्देश दिए कि जिले में मलेरिया, डेंगू और स्वाइन फ्लू जैसे रोगों की रोकथाम के लिए प्रभावी कार्रवाई की जाए। मलेरिया, डेंगू आदि रोगों को फैलने से रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम मच्छरों की रोकथाम के प्रयास करें। नगर निगम एक पखवाड़े का अभियान चलाकर उन व्यक्तियों पर अर्थदंड की कार्रवाई करे जिनके घरों में टूटे-फूटे बर्तनों, पुरानी टंकियों के पानी में डेंगू के मच्छर का लार्वा पनप रहे हों
बैठक में सीएमएचओ डॉ. एचएन नायक ने बताया कि जिले में स्वाइन् ाफ्लू रोगियों के इलाज के लिए 5 शासकीय व 18 निजी अस्पताल चिन्हित किए गए हैं। स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए पर्याप्त मात्रा में 'टेमी फ्लू' दवा की व्यवस्था है। विकासखंड स्तर पर भी स्वाइन फ्लू को लेकर मीटिंग की जा रही है तथा जन जागरूकता के प्रयास किए जा रहे हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आशा व एएनएम को बीमारी के संबंध में अलर्ट कर दिया गया है। क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति में रोग के लक्षण मिलने पर अस्पताल ले जाने की सलाह देने के निर्देश दिए गए हैं।
सतर्क होते तो नहीं फैलती बीमारियां
बीमारी की आशंका के बावजूद मलेरिया विभाग की कार्रवाई केवल कागजों पर ही चल रही है। न तो जागरुकता अभियान चलाया गया और न एंटी लार्वा गतिविधियां ही दिखाई दे रही हैं। मलेरिया माह के दौरान जो कैंप लगते हैं वे भी नहीं लग रहे हैं। इसके साथ ही नगर निगम का अमला भी इस दौरान निष्क्रय दिखाई दे रहा है। इसका असर यह हुआ कि मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू फैलाने वाले मच्छर शहर में तेजी से बढ़ रहे हैं और लोगों को अपनी चपेट में ले रहे हैं। हमेशा की तरह शुरूआत में बीमारियों को छुपाने और दबाने की कोशिशें की जा रही हैं लेकिन जब पूरे शहर में इन बीमारियों के शिकार लोग सामने आने लगे तब मजबूरी में प्रशासन को भी मानना पड़ा कि मलेरिया विभाग और नगर निगम का अमला मच्छरों की रोकथाम को लेकर कोई काम नहीं कर रहा। यही कारण है कि कलेक्टर को स्पष्ट निर्देश देने पड़े।
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