सीएस ने इंदौर के तीन एसडीएम और दो तहसीलदारों को निलंबित किया

इंदौर। मुख्य सचिव बीपी सिंह ने गुरुवार को इंदौर में पूरे संभाग के अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने बैठक के दौरान ही 3 एसडीएम तथा 2 तहसीलदारों को निलंबित कर दिया। प्रदेश में अब तक जितने भी संभागीय मुख्यालयों पर मुख्य सचिव ने बैठक ली है वहां अधिकारियों को सख्त चेतावनी देने के साथ ही कामकाज सुधारने के लिए दो माह के समय दिया। इतना ही समय इंदौर में भी दिया लेकिन 5 अधिकारियों के कामकाज में गंभीर गड़बड़ियां सामने आने पर उन्हें निलंबित भी कर दिया। उन्होंने कहा कि इन अधिकारियों ने राजस्व प्रकरणों के निराकरण में नियमों का उल्लंघन किया। निराकरण की संख्या अधिक बताने के लिए प्रक्रिया का पालन नहीं करते हुए प्रकरण खारिज किए तो किसी अधिकारी ने वसूली की गलत जानकारी दी। 
मुख्य सचिव बीपी सिंह ने इंदौर संभाग के सभी जिलों के राजस्व अधिकारियों की बैठक ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में ली। कई घंटों तक चली बैठक में उन्होंने एक-एक अधिकारी से चर्चा की। कई अधिकारी जवाब देते समय गड़बड़ा गए तो कई अधिकारियों द्वारा की गई गड़बड़ी की रिपोर्ट बैठक के पहले ही मुख्य सचिव तक पहले ही पहुंच चुकी थी। 
इन अधिकारियों को किया निलंबित 
एसडीएम शृंगार श्रीवास्तव, एसडीएम संदीप सोनी, एसडीएम अजीत श्रीवास्तव, तहसीलदार राजेश सोनी और दर्शिनी सिंह। मुख्य सचिव ने प्रकरण जानबूझ कर लंबित रखने, निराकृत प्रकरणों की संख्या अधिक दिखाने के लिए गलत तरीके से उन्हें खारिज करने, डायवर्शन टैक्स की वसूली नहीं करने, टैक्स की वसूली में अगले साल के चेक लेने जैसे मामलों में इन अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश दिए। संभागायुक्त संजय दुबे ने इस आधार पर तुरंत निलंबन आदेश जारी कर दिए। 
किससे क्या कहा...
एसडीएम बिहारीसिंह से कहा कि जैसा नाम है वैसा काम करो। दो माह का समय दिया गया है उसमें नहीं सुधरे तो निलंबन के लिए तैयार रहो। जो भी डिप्टी कलेक्टर कार्य नहीं करेगा उसे निलंबित कर दिया जाएगा। यह नहीं देखा जाएगा कि कितनी अधिक संख्या में निलंबित किए जा रहे हैं बल्कि यह देखा जाएगा कि आम जनता का कार्य कितनी तेजी से हो रहा है। जनता के कार्य में किसी भी तरह की लापरवाही मंजूर नहीं की जाएगी। इंदौर में कुछ अधिकारियों ने प्रकरणों के निराकरण में ज्यादा स्मार्टनेस दिखाई है। वे किसे मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हैं। एक अधिकारी द्वारा डायवर्शन टैक्स की वसूली का 2018 का चेक बताने पर मुख्य सचिव ने कहा कि नौकरी को धंधा बना लिया है क्या? जमा-खर्च दिखाने की बजाए ठीक से काम करो। एसडीएम संदीप सोनी ने बाउंस हुए चेक के संबंध में पूछने पर कहा कि मुझे आरआई ने ठीक से जानकारी नहीं दी थी वर्ना गलत चेक देने वालों को... करता, वसूली करता। एसडीएम द्वारा आपत्तिजनक शब्द का उपयोग करने पर मुख्य सचिव ने कहा कि पहले क्या शब्द बोला था जरा फिर से बोलना, यह सुनकर एसडीएम की बोलती बंद हो गई। एसडीएम अजीत श्रीवास्तव ने सवालों के जवाब में भू राजस्व संहिता की धाराएं बताईं तो मुख्य सचिव ने कहा कि कानून बता कर अपनी जवाबदारी से बचने की कोशिश की जा रही है। तहसीलदार राजेश सोनी से सवाल करते हुए उन्होंने कहा कि एक प्रकरण को खारिज करते हुए 34 बार सुनवाई बताई गई और सभी में पूर्ववत लिखा गया। प्रकरणों के निराकरण की संख्या अधिक बताने के लिए यह सब क्यों किया? ऐसे 54 केस किस आधार पर खारिज किए? तहसीलदार इसका जवाब नहीं दे पाए।  
यह निर्देश दिए
- तीन महीने से ज्यादा पुराने अविवादित नामांतरण, बंटवारा प्रकरणों को लेकर यदि कोई सीएम तक पहुंचेगा तो उसे इनाम मिलेगा। इनाम की राशि संबंधित अधिकारी के वेतन से काटी जाएगी। 
- जो राजस्व अधिकारी तय समय सीमा में प्रकरणों का निराकरण नहीं करेंगे उन पर 1 लाख रुपए तक का अर्थदंड किया जाएगा। उन्हें निलंबित भी किया जाएगा।
- रेवेन्यू कोर्ट में एक भी प्रकरण लंबित नहीं मिलना चाहिए। इसके लिए दो महीनों का समय दिया जा रहा है। इसके बाद अधिकारी ‘छुट्टी’ के लिए तैयार रहें। जो दोषी होगा उसे घर बैठा दिया जाएगा।  
- कोई भी पटवारी नामांतरण का रिकॉर्ड घर पर न रखे। रिकॉर्ड आॅफिस में ही रहेगा। सीमांकन मशीनों से किया जाए।
- सीमांकन पहले आएं पहले पाएं के आधार पर करना होगा। पहुंच वाले व्यक्ति का सीमांकन निर्धारित क्रम से पहले करने वालों को दंडित किया जाएगा।
बैठक के पहले ही जानकारी मंगा ली थी मुख्य सचिव ने
मुख्य सचिव बीपी सिंह 31 अगस्त को इंदौर में बैठक लेने वाले हैं यह जानकारी सभी को थी और कलेक्टर के निर्देश पर बुधवार रात सभी अधिकारियों ने देर रात तक कार्यालय में ही रुक कर बैठक संबंधी सभी तैयारियां पूर्ण कीं। रात्रि करीब साढ़े आठ बजे प्रमुख सचिव राजस्व अरुण पांडे अचानक कलेक्टर कार्यालय पहुंच गए। उनके साथ राजस्व आयुक्त रजनीश श्रीवास्तव भी थे। वे एसडीएम शृंगार श्रीवास्तव के कक्ष में पहुंचे। वहां श्री पांडे ने नामांतरण, बंटवारे, सीमांकन, जाति प्रमाण पत्र, कॉलोनियों की अनुमति देने अथवा रोकने, डायवर्शन टैक्स वसूली संबंधी प्रकरणों की जानकारी मांगी। अचानक सवालों की बौछार होने से घबराए एसडीएम ठीक से जवाब नहीं दे पाए। इसी बीच श्री पांडे ने वहां रखी विभिन्न फाइलों की जांच भी की। कई फाइलें अपने कब्जे में ले लीं। इसके बाद एसडीएम संदीप सोनी, एसडीएम खुड़ैल, तहसीलदार राजेश सोनी, अधीक्षक भूअभिलेख के कार्यालय में भी उन्होंने जांच की, अधिकारियों से सवाल किए और फाइलें अपने कब्जे में ले लीं। इन सभी फाइलों को वे अपनी गाड़ी में साथ ले गए। रात्रि में ही उन्होंने फाइलों को चेक किया और गुरुवार सुबह बैठक के पहले मुख्य सचिव बीपी सिंह को रिपोर्ट सौंप दी। साथ ही यह जानकारी भी दी कि सामान्य चर्चा में कौन अधिकारी अपने कार्यक्षेत्र की कितना जानकारी ठीक से नहीं दे पाया। फाइलों में मिली गड़बड़ियों की जानकारी भी मुख्य सचिव को दी गई।