इंदौर। केंद्र सरकार की अमृत योजना के कार्यों का टेंडर 8 सितंबर को जारी किया जाएगा। 28 पेयजल टंकियों के निर्माण कार्य को भी टेंडर में शामिल किया जाएगा। इसी माह ठेकेदार को वर्कआॅर्डर जारी कर दिए जाएंगे। कार्य पूर्ण करने की समय सीमा दो वर्ष निर्धारित की गई है। गत अप्रैल माह में पंपिंग स्टेशन जलूद में महापौर मालिनी गौड़ ने नर्मदा के तीसरे चरण के पानी की लाइन कार्य का भूमिपूजन करते हुए पानी की 28 नई टंकियों के निर्माण की घोषणा भी की थी। यह टंकियां ऐसे क्षेत्रों में पानी उपलब्ध कराएंगी जहां अभी तक नर्मदा का पानी नहीं पहुंच सका है। खासकर नगरीय सीमा में शामिल हुए ग्रामीण क्षेत्रों में टंकी निर्माण पर अधिक जोर दिया जाएगा। इन क्षेत्रों के रहवासी टैंकर और बोरिंग के पानी का उपयोग करने पर मजबूर हैं। गत 21 अगस्त को एक समारोह में शहरी विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने पानी वितरण योजना का शुभारंभ किया था। इसके बाद नर्मदा प्रोजेक्ट ने टंकी निर्माण के टेंडर बुलाए थे। ठेकेदारों की अरुचि के चलते टेंडर निरस्त हो गए थे। इधर, नर्मदा के तीसरे चरण का पानी वर्तमान में 90 एमएलडी वितरित हो रहा है। अगले वर्ष शेष 90 एमएलडी पानी सप्लाय किया जाना प्रस्तावित है। पानी की क्षमता बढ़ाने पर तीसरे चरण के तहत भी कई इलाकों में नई लाइन बिछाई जाएगी। जहां-जहां लाइन बिछाई जाना है वहां के पार्षदों और विधायक से सूची मांगी जा रही है। अमृत योजना में नई टंकियों को जोड़ा जाएगा। स्काडा सिस्टम के तहत टंकियों के निर्माण, पानी भरने का लेवल, बिजलपुर से टंकी स्थल तक पाइपों के बीच लगे वाल्व, लीकेज, टंकी स्थल से पानी पहुंचने तक पाइप लाइन की दूरी, पानी का दबाव, पानी खींचने हेतु लगी मोटरें, पानी के मीटर आदि को जोड़ा जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य पानी सप्लाय व्यवस्था को पारदर्शी बनाया जाना है। स्काडा सिस्टम कैसे काम कर रहा है, इसकी मॉनिटरिंग के लिए बिजलपुर स्थित नर्मदा प्रोजेक्ट आॅफिस पर कंट्रोल रुम स्थापित होगा। वहीं, जलूद में आने वाले इलेक्ट्रिक फाल्ट के दौरान वितरण व्यवस्था का डेटा भी सामने आ जाएगा। कम्प्यूटर से सारी व्यवस्था का डेटा अपडेट किया जाएगा। इस डेटा की सतत मॉनिटरिंग के लिए कंट्रोल रुम में अतिरिक्त अधिकारी की तैनाती होगी। यही नहीं, कम्प्यूटर में संग्रहित सारे डेटा को प्रत्येक माह शहरी विकास मंत्रालय व केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। शहर की अधिकांश कॉलोनियों, बस्तियों में मोटर पंप लगाकर पानी की चोरी की जा रही है। दूरसंचार कंपनियों, गैस एजेंसियों द्वारा लाइन दुरुस्ती के लिए पानी की लाइन फोड़ दी जाती है। कई बार वाल्व लूज होने व अन्य कारणों से लाइन में लीकेज आ जाता है, जिससे न सिर्फ पानी वितरण व्यवस्था चरमराती है बल्कि लाखों गैलन पानी व्यर्थ बह जाता है। बार-बार मौके पर लीकेज सुधारने कर्मचारियों को जाना पड़ता है। स्काडा सिस्टम लागू होने से इस तरह की सारी शिकायतों का कम्प्यूटर के माध्यम से कंट्रोल रूम से ही निराकरण हो जाएगा। इनका कहना अमृत योजना में नई टंकियां बनाने टेंडर बुलाए जाएंगे। स्काडा सिस्टम की नर्मदा प्रोजेक्ट आॅफिस के कंट्रोल रुम से मॉनिटरिंग होगी। खराब वाल्व और लीकेज कम्प्यूटर द्वारा पता किया जाएगा। शिकायत स्थल पर जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। - बलराम वर्मा, प्रभारी जलकार्य समिति।
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