कब सुधरेगी पुलिस? रेप पीड़िता को जांच के लिए पुरुष पुलिसकर्मी के साथ भेजा

इंदौर। शासन कितने भी नियम बना दे, कोर्ट कितने भी सख्त आदेश जारी कर दे लेकिन कहीं न कहीं कुछ कर्मचारी या अधिकारी ऐसे भी हैं जो इन नियमों और आदेशों से खुद को ऊपर समझते हैं। ताजा मामला खरगोन के टांडाबरुड़ क्षेत्र का है। यहां की 12 वर्षीय बालिका अपने ही चचेरे भाई की ज्यादती का शिकार हुई है। वह गर्भवती है। पहले तो पुलिस ने रिपोर्ट लिखने में आनाकानी की। 13 घंटे तक थाने में बैठाए रखा, फिर एफआईआर दर्ज की गई। इसके बाद महिला की बजाए पुरुष पुलिसकर्मी के साथ बालिका व उसके परिजनों को इंदौर भेजा गया एमवाय अस्पताल में मेडिकल जांच कराने के लिए। यहां पुलिसकर्मी भी बालिका को अस्पताल में छोड़ कर गायब हो गया।

क्या है मामला

बालिका को 6 माह का गर्भ है। परिजनों का कहना है कि बालिका का गर्भपात कराने की अनुमति लेने हेतु कोर्ट में आवेदन दिया है। बालिका ने पुलिस को बताया है कि करीब 6 माह पहले वे घर के पीछे रहने वाले आरोपी लखन पिता दारासिंह जमरे (19) की किराना दुकान पर सामान लेने गई थी। वहां लखन ने अंदर बुला कर उसे धमकाया और दुष्कर्म किया। इसके बाद भी धमकी देते हुए उसने कई बार दुष्कर्म किया। कुछ दिन पहले बालिका जब बुआ के घर गई थी तब वहां उसे पेटदर्द हुआ। बुआ ने उसे डॉक्टर को दिखाया तब पता चला कि वह गर्भवती है। पुलिस ने 13 घंटे में दर्ज की रिपोर्ट बालिका को लेकर परिजन जब टांडाबरुड़ थाने पहुंचे तो वहां उन्हे 13 घंटे से अधिक समय तक बैठाए रखा गया। परिजनों का आरोप है कि इस बीच पुलिस ने उन पर दबाव डाला कि आरोपी और उसके परिजनों से समझौता कर लो और रिपोर्ट दर्ज मत कराओ। सुबह से लेकर रात तक बालिका और परिजन थाने में बैठे रहे। अंतत: पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली। अब तक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

महिला पुलिसकर्मी साथ में क्यों नहीं भेजी

बालिका के परिजन शिक्षित नहीं हैं और इंदौर शहर व एमवाय अस्पताल के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। नियमानुसार बालिका को मेडिकल जांच के लिए महिला पुलिसकर्मी के साथ एमवाय अस्पताल भेजा जाना था लेकिन थाने से पुरुष पुलिसकर्मी को भिजवाया गया। वह एमवाय अस्पताल तक साथ रहा और अस्पताल की पुलिस चौकी पर कागजात देकर गायब हो गया। चौकी पर तैनात महिला आरक्षक ने बालिका व उसके परिजनों की मदद की और महिला डॉक्टर तक पहुंचाया। महिला डॉक्टरों की पेनल ने जांच के बाद परिजनों से कहा कि जांच रिपोर्ट बाद में मिलेगी। इसके बाद बालिका और उसके परिजन वापस जाने के लिए भटकते रहे। जबकि इन सभी के सुरक्षित वापस लौटने का इंतजाम भी पुलिस को ही करना था। यह मामला जब खरगोन एसपी तक पहुंचा तो वहां से उन्होंने पुलिसकर्मी को भेजा। यह भी पता चला है कि पीड़ित पक्ष किराए का वाहन लेकर इंदौर पहुंचा था। जिसका किराया भी पीड़ित पक्ष ने ही चुकाया।