कैलाश विजयवर्गीय का आभामंडल और कार्यकर्ताओं का गुबार

भोजन भंडारे से दूर राजनीतिक परिपक्वता को अच्छी तरह से अंगीकार कर चुके कैलाश विजयवर्गीय से मिलने वालों कार्यकर्ताओं का हुजुम और उससे निकलते संदेशों में निहितार्थ क्या है यह जानना बेहद जरुरी है। ताई भाई की राजनीति से दूर अब शहर की राजनीति को अलग कोणों से देखने की जरुरत है। शहर में भाजपा का राज है और अच्छा राज है पर क्या कार्यकर्ता खुश है? और क्या वे अपने राजनैतिक और संगठन के नेतृत्व से नाराज है? ऐसे कई प्रश्न कैलाश विजयवर्गीय के कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद में देखने को मिले। पहली बात तो यह कि कैलाशजी को जरुरत क्यों पड़ी अचानक कि वे कार्यकर्ताओं से बात करे वह भी भाजपा कार्यालय में जाकर। पार्टी संगठन में महासचिव जैसे ओहदेदार पद पर विराजमान कैलाश विजयवर्गीय को कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद की जरुरत क्यों आन पड़ी? क्या भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधि लोगों के साथ साथ भाजपा के कार्यकर्ताओं की भी अनदेखी कर रहे है? प्रश्न कई है जिनमें शहर में भाजपा के तीन गुटों को लेकर चर्चाएं चलना और भाजपा के क्षेत्र?क्रमांक 2 के पार्षदों के काम नहीं होना जैसी बातें भी शामिल है परंतु कार्यकर्ताओं ने जिस बेबाकी से अपनी बातें रखी वह गौर करने लायक है। क्योंकि प्रश्न यह उठता है कि क्या कार्यकर्ताओं की सुनी नहीं जा रही थी और क्या भाजपा के बड़े नेता अपने में ही मस्त है और केवल चापलुसो से घिरे है? कार्यकर्ताओं का दर्द छलक पड़ा वे कहने से भी पीछे नहीं हटे कि कब तक ऐसा ही चलता रहेगा।कांग्रेस का प्रभाव भाजपा पर या भाजपा का प्रभाव कांग्रेस परकई कार्यकर्ताओं ने सीधे रुप से कहा कि भाजपा के ही लोग कांग्रेस के लोगों के काम तो कर देते है पर भाजपा कार्यकर्ता की अनदेखी होती है। कार्यकर्ता अपनी अनदेखी से नाराज है और उसकी कोई सुनवाई नहीं है। क्या कांग्रेस का प्रभाव भाजपा पर पड़ा है या भाजपा का प्रभाव कांग्रेस पर पड़ा है। मुख्यमंत्री हेल्पलाईन पर समस्याएं हल होंगी तब पार्षदों की जरुरत ही क्या?संवाद में यह बात प्रमुखता के साथ उठी कि आम जनता अगर अपने काम सीधे मुख्यमंत्री हेल्पलाईन में डालती है तब अधिकारी केवल मुख्यमंत्री हेल्पलाईन की समस्याओं को ही हल करते है वे हमारी नहीं सुनते और किसी भी भाजपा कार्यकर्ता की नहीं सुनते ऐसे में पार्षदों की जरुरत ही क्या है? इसके अलावा पार्षदों के वेतन को लेकर भी बात हुई कि सांसद से लेकर विधायक तक अपना वेतन बढ़ा लेते है परंतु पार्षद को अब भी 6 हजार रुपए ही मिलते है। पार्षद का वेतन भी बढ़ना चाहिए। क्षेत्र क्रमांक 4 को लेकर भी आक्रोशशहर में जिस तरह से ताई भाई के बाद महापौर गुट बनता जा रहा है उसे लेकर भी कई कार्यकर्ताओं ने कहा कि क्षेत्र क्रमांक 4 के भाजपा के पार्षदों की अनदेखी हो रही है और उनके काम बिल्कुल भी नहीं हो रहे है। सांसद का चुनाव कैलाश जी लडेंगे?कार्यकर्ताओं ने जिस तरह से बीजेपी कार्यालय में कैलाश विजयवर्गीय का स्वागत किया और जिस तरह से बेबाकी से अपनी राय रखी उसके बाद यह भी कहा कि चलो कोई तो अपनी सुनने वाला है वरना अब तक तो बात कहां पर ओर कैसे पहुंचाएं यहीं समझ में नहीं आ रहा था। कैलाश जी ही अगला लोकसभा चुनाव लडेंगे यह बात भी कार्यकर्ता कहते नजर आए। कई कार्याकर्ताओं ने बदलाव की बात भी कही और अलग अलग मोर्चो के लोगों के बारे में कहा कि वर्षों से लोग जमे हुए है अब उन्हें हटाया जाए और नए लोगो को काम दिया जाए। क्या कैलाश जी पार्टी अध्यक्ष के कहने पर आए भाजपा कार्यालयशहर में भाजपा के भीतर की लड़ाई ने कई बातें देखी जो नगर निगम में अब भी चल रही है परंतु कैलाश विजयवर्गीय ने कभी इसे लेकर विवादित बयान नहीं दिया । शहर भाजपा संगठन जिस प्रकार से वर्तमान में माईक्रो लेवल पर काम कर रहा है उसमें कई बातें सामने आई थी जिसमें कार्याकर्ताओं की बेरुखी से उनमें नाराजगी भी प्रमुख थी। कार्यकर्ताओं को एकसूत्र में बांधे रखने के लिए जरुरी था कि कार्याकर्ताओं से पार्टी का कोई ऐसा नेता संवाद करे जिसमें वे अपनी बेबाकी से राय रख सके क्योंकि बाकी कोई भी नेता इस प्रकार की बातें कर नहीं सकता और जो वरिष्ठ है वे इतने वरिष्ठ है जिनके सामने कार्यकर्ता मुँह ही नहीं खोल पाते है और वे मुँह खोलने की बात भी करे तब कब और किसके सामने ?राजनीतिक परिपक्वता से सजा कैलाश विजयवर्गीय का आभामंडलकार्यकर्ताओं के  साथ संवाद में कैलाश जी ने सकरात्मक बातों पर जोर दिया और कार्यकर्ताओं से यह कह दिया कि मैं सभी की बातें सुनने आया हूँ। दिल्ली में लगातार रहने के कारण कैलाश जी की बातों,व्यवहार में अलग तरह की राजनीतिक परिपक्वता नजर आने लगी है वे एक राष्ट्रीय नेता की मानिंद अपने आप को ढाल चुके है और यह उनके आभामंडल से झलक भी रहा था। आम कार्यकर्ता क्या चाहता है वे अच्छी तरह से जानते है और वे चाहते तो अपने चिर परिचित अंदाज में भी रुबरु हो सकते थे जो अंदाज क्षेत्र क्रमांक 2 में नजर आ जाता है परंतु उन्होंने संयत और नपी तुली भाषा में कार्यकर्ताओं को ज्यादा से ज्यादा सुना और उतना ही बोला जितनी आवश्यकता है। संवाद के आरंभ में ही जब भाजपा नगर अध्यक्ष कैलाश शर्मा ने कहा कि हम मोदी जी के नेतृत्व में विश्वगुरु बनेंगे तब कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि भाजपा कार्यालय में लगा साउंड सिस्टम पहले ठीक करवाओं ऐसे साउंड सिस्टम से हम विश्वगुरु बनेंगे? कैलाश विजयवर्गीय राष्ट्रीय राजनीति के रंग ढंग और दांवपेंचो को अच्छी तरह समझ चुके है और जिस प्रकार से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह सीधे और सटीक तरीके से कार्यकर्ताओं के साथ संवाद करते है कैलाशजी ने भी वहीं अंदाज अपनाया। कैलाश जी में राजनीतिक गांभीर्य का पुट आ चुका है और वे समझ चुके है कि राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति करना है और खासतौर पर मोदी स्टाईल की राजनीति में आभामंडल का विशेष महत्व है जो कि कैलाश जी के आभामंडल में पहले से मौजूद है। अंतर इतना है कि पहले वे क्षेत्र क्रमांक 2 की स्टाईल को ही अपनाते थे परंतु अब जिस तरह से उन्होंने अपने आप को ढाला है वह काबिलेगौर है।