इंदौर। मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव के बाद बस में होनी वाली हर घटना के लिए ड्राइवर-कंडक्टर को जिम्मेदार ठहराया गया है और इसके लिए कड़ी सजा का भी प्रावधान किया गया है। इसके अलावा बस से दुर्घटना में किसी की मौत होती है तो ड्राइवर की जमानत थाने से नहीं बल्कि कोर्ट से होगी। ड्राइवर व कंडक्टरों के अनुसार यह बेहद कड़ा कानून है और बस के भीतर किसी भी घटना के लिए दोनों को जिम्मेदार ठहराना तर्कसंगत नहीं है।
धार रूट के अलावा कई अन्य रुटों पर भी बसें नहीं चलाई गईं। बाहर के राज्यों की बसें चलीं परंतु उनकी संख्या इतनी नहीं थी कि सभी यात्रियों को सुविधा मिल सके। वैसे ड्राइवर-कंडक्टरों को इस आंदोलन में सभी संगठनों का समर्थन नहीं मिल पाया है, इस कारण हड़ताल तो हो गई परंतु यह लगातार चलती रहेगी कि नहीं यह देखने वाली बात होगी। इंदौर के अलावा झाबुआ से भी आगे की ओर जाने वाली बसें बंद रहीं। हड़ताल का असर सभी दूर पड़ा है। शहर से गंगवाल बस स्टैंड और सरवटे बस स्टैंड पर बड़ी संख्या में बसें खड़ी रहीं। यात्रियों को पहले यह पता ही नहीं चला कि आखिर बसें क्यों नहीं चल पा रही है बाद में जब पता चला कि ड्राइवर-कंडक्टरों ने हडताल की है तब जाकर यात्रियों को बात समझ में आ गई। वे अन्य परिवहन के अन्य साधनों को तलाशते नजर आए।
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