इंदौर। पाकिस्तान से भारत आई मूक बधिर गीता को लेकर अब फिर से राजनीति तेज हो गई है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने विडियो संदेश के माध्यम से मार्मिक अपील की है कि जो भी गीता के माता-पिता से उसे मिलवाएगा उसे एक लाख रुपए दिए जाएंगे। प्रश्न यह उठता है कि दो वर्ष बाद यह बात सामने क्यों आई जबकि इस दौरान दो बार गीता ने स्कीम नंबर 71 स्थित मूक बधिरों की संस्था से भागने की कोशिश की। जिसमें एक बार वह रणजीत हनुमान मंदिर में मिली और एक बार अन्य जगह पर।
गीता को पाकिस्तान से भारत लाने के बाद यह कहा गया था कि उसे दिल्ली में ही रखा जाना चाहिए ताकि विदेश मंत्रालय जैसा चाहे वैसा एक्शन जल्द से जल्द ले सके। अब जबकि गीता दो वर्ष से इंदौर में है और दो वर्ष पूर्व तक वह सेलिब्रिटी थी लेकिन अब उसकी ओर किसी भी तरह का ध्यान न मीडिया का जाता है और न ही संबंधित अधिकारियों का। गीता की स्थिति बंद पिंजरे में रहने वाली लड़की जैसी हो गई है।
शादी की बात झूठी
गीता जिस संस्थान में रह रही है वहां से यह बात सामने आई थी कि गीता शादी करना चाहती है। दरअसल गीता जब भाग गई थी उसके बाद उससे बातचीत करने वालों ने अपनी तरह से इस घटना को अंजाम दे दिया कि गीता शादी करना चाहती है।
पाकिस्तान के लोग भी बोलने लगे
गीता को भारत लाने में स्कीम नंबर 54 में चलने वाली मूक बधिर संस्था के ज्ञानेंद्र पुरोहित का बड़ा हाथ रहा है। आरंभिक दौर में वे ही विडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर गीता से बातचीत करते थे और उससे यह जान पाए थे कि आखिर गीता चाहती क्या है। भारत में आने के बाद भी गीता को दिल्ली में रखने के लिए ज्ञानेंद्र पुरोहित ने कहा था परंतु गीता को दिल्ली में रखने से बवाल हो सकता है यह बात किसी ने विदेश मंत्रालय में जंचा दी जिसके कारण गीता को इंदौर में रखा गया। जिस संस्था में रखा गया वहां पर गीता को निश्चित रुप से वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया परंतु गीता की वर्तमान हालात देखकर यह कहा जा सकता है कि पिंजरे बंद व्यक्ति को चाहे जितनी सुविधाएं दी जाएं वह जेल में रहने जैसा ही महसूस करता है और गीता के साथ भी वही हो रहा है। उसे जैसी चाहे वैसी मदद नहीं मिल पा रही है और वह अपनी बात कह भी रही है तब शायद सुनी नहीं जा रही है या कोई इस बात को समझ नहीं पा रहा है। गीता को किस तरह की मदद की जरुरत है और आखिर उसे क्या चाहिए यह बात समझना होगी क्योंकि एक लाख रुपए की घोषणा के बाद फिर ऐसे फर्जी लोग सामने आ जाएंगे जो यह दावा करने लगेंगे कि हम ही गीता के माता पिता हैं।
गीता को लेकर ज्ञानेंद्र की बात पाकिस्तान में उन लोगों से भी होती है जिन्होंने गीता को पाकिस्तान से भारत लाने में महती भूमिका निभाई। ज्ञानेंद्र के अनुसार अब ये लोग भी बोलने लगे हैं कि आप लोग बड़ी बातें बोलकर गीता को भारत लेकर गए थे और अब गीता के साथ क्या कर रहे हो? ज्ञानेंद्र ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पत्र भी लिखा है जिसमें वर्ष 2015 की बातचीत का भी जिक्र है जिसमें ज्ञानेंद्र ने गीता को दिल्ली में ही रखने की बात की थी। ज्ञानेंद्र के अनुसार गीता को दिल्ली में ही रखा जाना चाहिए और आरंभिक रुप से उन्होंने ही गीता को भारत में लाने में महती भूमिका निभाई है तब अचानक उसे दूसरी संस्था को क्यों दे दिया गया और जो संस्था संभाल रही है उसे अब गीता से कोई फायदा नहीं है इस कारण वह बार-बार विदेश मंत्रालय में गुहार लगा रही है। ज्ञानेंद्र ने बताया कि वे अब भी गीता को दिल्ली में ही रखने के पक्ष में हैं और वे अपनी ओर से पूर्ण मदद भी देने को तैयार हैं।
क्या राजनीति का शिकार बन गई गीता
राजनीति में समय का बड़ा महत्व है। गीता को जब पाक से भारत लाया गया था तब काफी हो हल्ला मचा था और इस हो हल्ले का फायदा सभी ने उठाया था, यहां तक की वर्तमान में जो संस्था गीता को संभाल रही है उसने भी इसका भरपूर फायदा उठाया था। गीता इतनी बड़ी सेलिब्रिटी बन गई थी कि लोग गीता के साथ फोटो खिंचवाने के भी पैसे देने की बात करने लगे थे। इसके बाद गीता की स्टोरी मीडिया के लिए काम की नहीं रही लिहाजा गीता की ओर किसी का ध्यान भी नहीं गया। अब फिर विदेश मंत्रालय की तरफ से एक लाख रुपए की घोषणा हुई है। गीता को लेकर जो भी कुछ हो रहा है उससे गीता पर कितना असर पड़ रहा है यह गीता के फोटोज देखकर पता लगता है कि किस प्रकार वर्ष 2015 में ही सुषमा स्वराज से मिलते समय गीता की हालत थी और वर्तमान में जिस प्रकार से गीता की हालत है उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि उसकी तबियत ठीक नहीं है और इस मामले को लेकर अब राजनीति बहुत हो गई मूक बधिर गीता को न्याय चाहिए और वह उसका हक है। केवल सरकारी घोषणाओं से कुछ नहीं होना है विदेश मंत्रालय को हर उस व्यक्ति की मदद लेना चाहिए जो गीता की बेहतरी के लिए हो।
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