इंदौर। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने घोषणा की है कि अगले वित्तीय वर्ष में शराब दुकानों के साथ अहातों की अनुमति नहीं दी जाएगी लेकिन इसके साथ ही सवाल खड़ा हो गया है कि क्या अहाते नहीं चलने से आम लोगों को शराबियों से मुक्ति मिल जाएगी। शराब पी-पीकर नशे के आदी लोग क्या शराब पीना बंद कर अपने घर-परिवार की चिंता करने लगेंगे?
शासन पिछले कई वर्षों से शराब दुकानों के साथ अहातों के संचालन की अनुमति दे रहा है अर्थात दुकान से शराब खरीदो और वहीं बने अहाते में बैठ कर पियो। शराब के साथ नमकीन व अन्य सामग्री अहाते में उपलब्ध कराई जाती है। जमकर पीने के बाद नशेड़ी वहीं से झूमते हुए निकलता है। अहातों की अनुमति के कारण कलालियों तक पर बोर्ड लग गए हैं- देसी का मजा एसी में। अर्थात देसी शराब खरीदो और एसी लगे अहाते में बैठ कर पियो। अब सरकार कह रही है कि अहातों की अनुमति नहीं दी जाएगी तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि इससे फर्क क्या पड़ेगा? शराबियों से परेशान आम लोगों का कहना है कि सरकार के इस निर्णय के बाद शराब दुकानों के आसपास मांसाहार और नमकीन की दुकानों की संख्या बढ़ जाएगी। बोतल खरीदने के बाद आसपास की दुकानों से खाने का सामान खरीदेंगे और वहीं कहीं बैठ कर पिएंगे अर्थात शराबियों का आतंक और बढ़ेगा।
अप्रैल माह में शराब दुकानों के नए ठेकों के तहत जब कई स्थानों पर दुकानें लगी थीं तब महिलाओं ने जम कर विरोध किया था। उन्होंने मांग की थी कि शराब की दुकानें बंद की जाएं लेकिन सरकार ने दुकानें बंद करने की बजाए उनमें से कुछ के स्थान बदलवा दिए। इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ा। शहर में परदेशीपुरा में विरोध हुआ तो ठेकेदार ने कल्याण मिल की खाली पड़ी जमीन पर पहले से करीब दस गुना बड़ी जगह पर दुकान लगा ली। अब मेनरोड से गुजरने वाले परेशान हैं। थाना मुश्किल से आधा किलोमीटर की दूरी पर है लेकिन शराबियों को कोई डर नहीं। एमआर टेन, मालवा मिल चौराहा, महू नाका चौराहा, धार रोड सहित कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां मुख्य मार्ग पर ही शराब की दुकानें हैं, लोग शराबियों से परेशान हैं लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता। अहाते बंद होने से नहीं बल्कि शराब दुकानें बंद होने से लोगों को राहत मिलेगी। अहाते बंद होने के बाद तो बीमारी सड़कों पर और फैलेगी।
क्यों नहीं की जा रही गुजरात के समान शराब बंदी
आम लोगों द्वारा पिछले कुछ वर्षों से प्रदेश में शराब बंदी की मांग की जा रही है लेकिन सरकार द्वारा इस बारे में विचार तक नहीं किया जा रहा। दरअसल शराब की बिक्री से प्रदेश सरकार को भारी मात्रा में राजस्व प्राप्त होता है। यदि प्रदेश में शराब बंदी की जाती है तो सरकार को करोड़ों का नुकसान होगा। हालांकि नेताओं का तर्क है कि शराब बंदी की गई तो लोग अवैध शराब का सेवन करने लगेंगे और इससे कभी भी हादसा हो सकता है लेकिन उनके पास इस बात का जवाब नहीं है कि अवैध शराब की बिक्री रोकने के लिए भी तो सरकार के पास भारी-भरकम टीम है, क्या अवैध शराब की बिक्री रोकी नहीं जा सकती? लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि जब गुजरात में भाजपा की सरकार शराब बंदी कर सकती है तो मप्र में भाजपा की सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती?
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