इंदौर। जिला अस्पताल में मरीजों की परेशानी एक दिन के लिए अचानक दूर हो गई। मरीजों और उनके परिजनों को ऐसा महसूस होने लगा कि वे सरकारी नहीं बल्कि प्राइवेट अस्पताल में हैं। सफाई से लेकर मरीजों की देखभाल करने वाले सब चाकचौबंद थे। दरअसल यह नजारा इसलिए दिखाई दिया क्योंकि प्रभारी कलेक्टर रुचिका चौहान मंगलवार को जिला अस्पताल का निरीक्षण करने आ रही थीं। अस्पताल प्रबंधन को उनके आने की सूचना पहले ही मिल चुकी थी इसलिए पूरे अस्पताल में इस तरह से व्यवस्थाएं की गईं कि कहीं भी समस्याएं दिखाई न दें और मरीज भी कोई शिकायत न करें। प्रभारी कलेक्टर ने अस्पताल का निरीक्षण किया और डॉक्टरों व अन्य स्टाफ से चर्चा कर वहां की व्यवस्थाओं की जानकारी ली। उन्होंने मरीजों और उनके परिजनों से भी उपचार व अन्य सुविधाओं के बारे में चर्चा की। मीडिया ने जब उनसे कहा कि आपके आने की सूचना मिलने पर अस्पताल में सफाई से लेकर अन्य व्यवस्थाएं सुधार ली गईं तो उन्होंने कहा कि मैंने तो आने के मात्र दस मिनट पहले ही फोन पर सूचना दी थी। अब खोज का विषय यह है कि अस्पताल प्रबंधन को कई घंटों पहले ही इस दौरे की जानकारी कैसे लग गई थी। औचक निरीक्षण होता तो वास्तविक स्थिति सामने आती।