इंदौर। आलू के गिरते दामों से परेशान किसानों ने करीब 500 बोरी आलू गांव के तालाब के किनारे फेंक दिए। किसानों का कहना है कि आलू के दाम लगातार घटते जा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से वे सरकर से मांग कर रहे हैं कि उन्हें मुआवजा दिया जाए लेकिन किसी भी स्तर पर ध्यान नहीं दिया गया। अब तो किसानों के पास इतनी राशि भी नहीं बची कि वे कोल्ड स्टोरेज का किराया दे सकें। इस कारण उन्होंने आलू फेंकने में ही भलाई समझी।
मामला देपालपुर तहसील के खिमलावदा गांव का है। किसानों पे बताया कि क्षेत्र के खिमलावदा, गौतमपुरा, रुनजी, बनेड़िया सहित कई गांवों में किसानों ने आलू की फसल ली थी। भरपूर फसल आने के बाद किसान और उनके परिजन बहुत खुश थे कि इस बार अच्छी कमाई हो जाएगी। सही समय पर सही दाम हासिल करने के लिए किसानों ने कोल्ड स्टोरेज में आलू रखवा दिया। वे इंतजार करते रहे कि आलू के दाम बढ़ें और फिर वे अपनी फसल बाजार में लेकर जाएं लेकिन हुआ ठीक उलटा आलू के दाम लगातार गिरते गए। किसानों ने बताया कि थोक में आलू के भाव 1 रुपए किलो तक आने के बाद तो उनकी परेशानी और बढ़ गई। कोल्ड स्टोरेज का किराया भारी पड़ने लगा। परेशान होकर खिमलावदा गांव के किसानों ने कोल्ड स्टोरेज से आलू के बोरे निकलवा कर गांव के तालाब के किनारे फेंक दिए। किसानों ने बताया कि करीब 500 बोरी आलू फेंका गया है।
खरीददारों की व्यवस्था क्यों नहीं करती सरकार
किसानों का कहना है कि किसान बुरे हालात में पहुंचते जा रहे हैं लेकिन सरकार उनकी परेशानी का निराकरण नहीं कर रही है। ब्रांडेड कंपनियों की आलू की चिप्स करीब 400 रुपए किलो की दर से बाजार में बिक रही है और आलू उत्पादक किसानों का आलू 1 रुपए किलो में बिक रहा है। कमाई आखिर कौन कर रहा है। यदि सरकार किसानों से आलू खरीद कर इन कंपनियों को सप्लाय करती तो किसानों को निश्चित रूप से लाभ होता। किसानों के पास इन कंपनियों तक पहुंचने के लिए चैनल नहीं है। सरकार के माध्यम से ही इस स्थिति से उबरा जा सकता है। अब भी वक्त है सरकार किसानों की मदद कर सकती है।
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