इतनी आसान नहीं स्मार्ट सिटी की डगर

इंदौर। नगर निगम के लिए शहर को स्मार्ट बनाने की चुनौती है और यह चुनौती शहर ने स्वीकार की है परंतु यह जैसा दिखता है वैसा है नहीं बल्कि अभी ढेर सारा काम करना बाकी है। 
आखिर क्या है स्मार्टनेस
किसी भी शहर के लिए स्वच्छता का मापदंड स्मार्टनेस हो सकता है या कुछ ओर। अगर ध्यान से देखा जाए तब स्मार्ट गर्वनेंस से लेकर स्मार्ट ट्रांसपोर्टेशन, स्मार्ट एनर्जी एंड वॉटर मैनेजमेंट, स्मार्ट इकोनॉमी से लेकर स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और स्मार्ट हेल्थ तथा एज्युकेशन के साथ स्मार्ट सिक्युरिटी, स्मार्ट कल्चर और हेरिटेज ये सभी बातें आती हैं। 
स्मार्ट इंदौर में राजवाड़ा और आसपास के क्षेत्र में विकास कार्य होना है और इसमें कई प्रकार के चरण आने वाले हैं जिसके माध्यम से शहर को स्मार्ट बनाने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। राजवाड़ा क्षेत्र में बिजली की निर्बाध आपूर्ति और जितनी भी बिजली की आपूर्ति होगी उसका दस प्रतिशत सौर ऊर्जा से आना जरुरी है। इस क्षेत्र में नगर निगम को काम करना है क्योंकि अभी तो दुकानं हटना ही आरंभ हुई हैं। गंदे पानी का रिसाईकिलिंग प्लांट के साथ रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और स्टार्म वॉटर रियूज। इसके अलावा आईटी कनेक्टिविटी, स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट, स्मार्ट पार्किंग, खान नदी के पानी को स्वच्छ करना और आसपास के क्षेत्र में मनोरंजन के साधन जुटाना। अंडरग्राउंड इलेक्ट्रिक की व्यवस्था। स्टार्ट अप्स के लिए भी जगह देना आदि। याने अभी स्मार्ट सिटी के लिए नगर निगम को ढेर सारे काम करना है। जिस प्रकार से स्वच्छता के लिए शहर जुटा और नगर निगम ने काम किया उसी तर्ज पर स्मार्ट सिटी के लिए भी जुटना होगा क्योंकि स्मार्ट सिटी को आकार देना इतना आसान काम नहीं है खासतौर पर राजवाड़ा और आसपास के क्षेत्र में। क्षेत्र की कई समस्याओं में से एक ट्रैफिक, अतिक्रमण, पार्किंग की है जिससे निजात पाने के लिए नगर निगम ने कार्रवाई आरंभ कर दी है। 
आम जनता की भागीदारी जरुरी
किसी भी बड़े प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए आम जनता की भागीदारी बेहद जरुरी है। यह भागीदारी हर स्तर पर होना जरुरी है जिसमें केवल सुझाव देने भर से काम नहीं चलेगा बल्कि आम जनता को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना होगी तब जाकर स्मार्ट सिटी की कल्पना को यथार्थ के धरातल पर उतारा जा सकता है।
अधिकारी बदलेंगे पर इंदौरी वही रहेंगे ना
स्मार्ट सिटी को आकार लेने में अभी समय लगेगा। नगर निगम में अभी कई अधिकारी ऐसे हैं जिनकी कार्यशैली बिल्कुल अलग है, जो अपने तरीके से काम करने के लिए जाने जाते हैं और जो आम जनता क्या खुद के विभाग के अधिकारियों की भी नहीं सुनते। ऐसे में कई बार ऐसा भी लगता है कि स्मार्ट सिटी की परिकल्पना देखने सुनने में अच्छी लगती है परंतु इस पर अमल कितना हो पाएगा यह समय ही बताएगा। स्मार्ट सिटी को लेकर शहर को तेजी भी बताना जरुरी है वरना अन्य दूसरे शहर हमसे आगे निकल जाएंगे। राजवाड़ा जैसा क्षेत्र अपने आप में कई प्रकार की चुनौतियां पेश करता है और जिस प्रकार से हैरिटेज वॉक जैसी कल्पनाओं को आकार देना है इसमें न केवल आम जनता की भागीदारी जरुरी है बल्कि आम जनता को अपनी समझ भी सुधारने की जरुरत है। आम जनता को राजवाड़ा व आसपास के क्षेत्र में जाने के लिए तकलीफ ना हो और साथ में अतिक्रमण भी हटे इन सभी बातों का समावेश होना जरुरी है। 
शहर स्मार्ट तो होना चाहता है
इंदौर शहर की आम जनता स्मार्ट तो होना चाहती है और अपना योगदान भी देना चाहती है पर जिस प्रकार से स्वच्छता अभियान को चलाया गया ठीक उसी प्रकार अपने इंदौर को स्मार्ट बनाने के अभियान को आम जनता तक पहुंचाने के लिए प्रयास करने की जरुरत है। एक बार सही तरीके से आम जनता तक यह बात पहुंच गई कि स्मार्ट सिटी से क्या फायदे होने वाले हैं तब आम जनता की भागीदारी अपने आप बढ़ जाएगी। नगर निगम ने शुरूवाती दौर में इस प्रकार की गतिविधियों को आकार दिया था परंतु बाद में यह सबकुछ नहीं हुआ और जमीनी काम होने लगा। नगर निगम को ब्रांडिंग पर भी ध्यान देने की जरुरत है ताकि आम जनता को लगातार इस बात का एहसास होते रहे कि हम स्मार्ट सिटी को गढ़ने जा रहे हैं।