इंदौर। परिवहन विभाग नित नए आदेश जारी करता रहता है लेकिन यह कभी नहीं देखा जाता है कि इनमें से कितने आदेशों का पालन हो रहा है। ताजा आदेश में कहा गया है कि सभी बसों में सीसीटीवी और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लगाना अनिवार्य है। आदेश का पालन करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर तय की गई है। जनवरी माह में मालूम पड़ेगा कि आदेश का पालन कितना और किस तरह से हुआ है।
इसके पहले भी बसों में यात्रियों का सफर सुरक्षित बनाने के लिए तरह-तरह के आदेश जारी किए जा चुके हैं लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियों को ही चिंता नहीं है कि आदेशों का पालन हो रहा है या नहीं। इन आदेशों में प्रमुख हैं- सभी बसों में फर्स्ट एड बॉक्स रहेगा जिसमें सभी जरूरी दवाईयां और उपचार के अन्य साधन रखें जाएंगे, आग बुझाने का उपकरण लगाया जाएगा, कंडक्टर और ड्राइवर वर्दी पहनेंगे और उस पर उनके नाम की पट्टिका भी रहेगी, बसों में किराया सूची लगेगी, बसों में हेल्पलाइन नंबर लिखा रहेगा जिस पर शिकायत करने पर यात्री की तुरंत मदद की जाएगी, बसों के पिछले हिस्से में छत पर चढ़ने के लिए लोहे की सीढ़ी और लोहे की जाली नहीं लगाई जाएगी, बसों के कांच पर गहरी काले रंग की फिल्म नहीं लगाई जाएगी, बसों में स्पीड गवर्नर लगाए जाएंगे तभी फिटनेस सर्टिफिकेट मिलेगा, सभी बसों में यात्रियों के चढ़ने और उतरने के लिए अगले और पिछले हिस्से में दो दरवाजे रहेंगे, बसों में इमरजेंसी गेट भी रहेगा, बसों में प्रेशर हॉर्न नहीं लगाए जाएंगे आदि-आदि। वर्तमान में इनमें से अधिकांश नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है फिर भी बसें चल रही हैं और आरटीओ द्वारा उन्हें नियमित परमिट दिए जा रहे हैं तथा शुल्क भी वसूला जा रहा है। जब भी कोई दुर्घटना होती है तो अधिकारी मातम मनाते हुए इन नियमों को सख्ती से लागू करने की बात कहते हैं और दो-चार दिन सड़कों पर चेकिंग कर कुछ बसों पर कार्रवाई करने के बाद वापस अपने-अपने केबिन में समा जाते हैं।
ताजा आदेश में आरटीओ ने कहा है कि बसों के संचालन और यात्रियों की सुरक्षा पर नजर रखने के लिए यह व्यवस्था की जा रही है। जीपीएस को आरटीओ कार्यालय के सर्वर से जोड़ा जाएगा। यह भी देखा जाएगा कि बसों के संचालन में समय का पालन किया जा रहा है या नहीं। एक ही परमिट पर एक से ज्यादा बसों का संचालन तो नहीं हो रहा है। सीसीटीवी से बस ड्राइवर और कंडक्टर की हरकतों पर आॅनलाइन नजर रखी जाएगी। बसों के प्रत्येक फेरे विशेषकर रात्रि के अंतिम फेरे पर भी आॅनलाइन नजर रखी जाएगी। वर्तमान में इंदौर संभाग के जिलों में 1800 से अधिक बसों का संचालन हो रहा है। इनमें से अधिकांश में नियमों का पालन नहीं हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाली बसों में तो खुल कर ओवरलोडिंग की जाती है। कई बार शिकायतों के बाद भी अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती। अब देखना यह है कि नए नियमों को लागू करने की अंतिम तिथि के बाद यात्रियों को कितनी राहत दिला पाते हैं अधिकारी।
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