इंदौर। अंतरराज्यीय मार्गों की खराब हालत से लोग खासे परेशान हैं लेकिन सरकार अथवा अधिकारियों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। इंदौर-उज्जैन मार्ग हो अथवा इंदौर-खंडवा-बुरहानपुर मार्ग हालात एक समान हैं। इंदौर-उज्जैन मार्ग पर टोल वसूली के बावजूद महाकाल टोलवेज प्राइवेट लिमिटेड ने मेंटेनेंस बंद कर रखा था। मप्र रोड डेवलेपमेंट कॉर्पोरेशन (एमपीआरडीसी) ने 5 माह में 21 नोटिस दिए लेकिन टोल कंपनी ने एक नहीं सुनी। जब लोग हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे तो अब जाकर कंपनी ने सड़क के गड्ढों पर डामर लपेटना शुरू कर दिया।
एमपीआरडीसी के कामकाज का असर राज्य सरकार पर पड़ेगा क्योंकि उक्त दोनों ही सड़कों से चौबीस घंटों में हजारों वाहन गुजरते हैं और गड्ढों के कारण वाहन चालकों व यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इंदौर-उज्जैन रोड पर टोल वसूलने के बावजूद मेंटेनेंस का कार्य पूरी तरह बंद कर दिया गया था लेकिन एमपीआरडीसी के अधिकारियों ने कार्रवाई करने की धमकी देते हुए केवल नोटिस जारी किए और अपनी फाइलों में उसकी कॉपी लगाते गए। जानकारों के अनुसार 5 महीनों में 21 नोटिस जारी करने के बाद भी महाकाल टोलवेज प्रालि द्वारा नोटिसों पर ध्यान नहीं दिए जाने के कई अर्थ निकाले जा सकते हैं। इंदौर-उज्जैन फोरलेन मार्ग कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा शासन को भी है और अधिकारियों को भी। देश के विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले लोग भगवान महाकाल के दर्शन करने के लिए उज्जैन इसी मार्ग से पहुंचते हैं। कई वीवीआईपी भी इसी मार्ग का उपयोग करते हैं। इसके अलावा राजस्थान और रतलाम की ओर जाने वाले वाहन भी इसी मार्ग से गुजरते हैं। इसके बावजूद मेंटेनेंस नहीं होना आश्चर्यजनक है। मार्ग पर बड़े-बड़े गड्ढे होने से वाहन हिचकोले खाते हुए निकलते हैं। फोरलेन का निर्माण वर्ष -2009 में बीओटी के तहत किया गया था। महाकाल टोलवेज प्रालि कंपनी इस मार्ग पर 25 वर्षों तक टोल टैक्स वसूलेगी। करीब 12 करोड़ रुपए की टोल वसूली हर माह की जाती है।
एमपीआरडीसी को कार्रवाई के पूरे अधिकार हैं। यहां तक कि मेंटेनेंस नहीं करने पर टोल कंपनी से टोल वसूली के अधिकर तक छीने जा सकते हैं लकिन अधिकारियों ने नोटिस देने के अलावा कुछ नहीं किया। परेशान होकर उज्जैन के नागरिक द्वारा हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की गई। इसके बाद टोल कंपनी ने फोरलेन पर गड्ढे वाले क्षेत्रों में डामर की पतली परत बिछाने का कार्य शुरू किया है लेकिन एमपीआरडीसी को इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है। वाहन चालकों के अनुसार डामर की परत भी ऊंची-नीची है और वहां से गुजरते समय वाहन डगमगाते हैं। अधिकारियों को अब भी कंपनी के मेंटेनेंस प्लान का इंतजार है।
इंदौर-खंडवा रोड पर भी यही हाल
इंदौर-खंडवा-बुरहानपुर रोड के भी यही हाल हैं। यह टू लेन सड़क भी बीओटी के तहत बनाई गई थी। टोल कंपनी अशोका बिल्डकॉन का ठेका समाप्त होने के बाद मार्ग का मेंटेनेंस बंद हो चुका है। वर्षाकाल में हुए गड्ढों को एमपीआरडीसी ने भरा था लेकिन पेचवर्क उखड़ चुका है। गड्ढों के कारण इस मार्ग पर भी यात्रा में लोगों को परेशानी हो रही है। अब शासन ने एमपीआरडीसी को 44 करोड़ का बजट गड्ढे भरने के लिए मंजूर किया है। अधिकारियों का कहना है कि राशि अभी मिली नहीं है। राशि मिलेगी तब कार्य शुरु होगा।
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