इंदौर। स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए एक बार फिर शहर को सजाया-संवारा जा रहा है। सफाईकर्मियों की संख्या अचानक बढ़ गई है। पुलों की दीवारों के किनारे पड़े कचरे तक को हटाया जा रहा है और पुलों की दीवारों की धुलाई के बाद रंगाई-पुताई कर उन्हें चमकाया जा रहा है। नई स्टाईल के टॉयलेट भी बड़ी संख्या में बनाए जा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल जो आम नागरिकों के मन में उठ रहा है कि करोड़ों रुपए खर्च कर बनाई जा रही इस व्यवस्था को स्थायी बनाया जाएगा अथवा स्वच्छता सर्वेक्षण के बाद व्यवस्थाएं धीरे-धीरे ध्वस्त होकर पहले जैसे हाल हो जाएंगे।
आम लोगों के मन में शंका उठना स्वाभाविक है क्योंकि जो भी राशि खर्च हो रही है वह उनके द्वारा दिए गए टैक्स की है। अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं और अब अधिकारियों के तबादलों का मौैसम भी आने वाला है। तीन साल से एक ही जिले में जमे अधिकारियों को यदि शासन नहीं हटाएगा तो निर्वाचन आयोग हटा देगा। इंदौर के लोगों का पुराना अनुभव यही रहा है कि अधिकारी के हटते ही उसके द्वारा स्थापित व्यवस्थाएं भी ध्वस्त होने लगती हैं। पिछली बार स्वच्छता सर्वेक्षण के पहले शहर में अनेक स्थानों पर महिलाओं और पुरुषों के लिए टॉयलेट बनवाए गए थे। लोगों ने राहत महसूस की थी क्योंकि महानगर का आकार ले चुके शहर में पब्लिक टॉयलेट का अभाव था। ऐसा नहीं है कि पब्लिक टॉयलेट पहली बार बने हैं। बरसों पूर्व नगर निगम ने ही शहर के विभिन्न हिस्सों में पब्लिक टॉयलेट बनवाए थे लेकिन बाद में लोगों ने उन्हें तोड़ कर वहां गुमटियां लगा लीं अथवा पक्की दुकानें लगा लीं। लोग चिल्लाते रहे लेकिन निगम प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। अब एक बार फिर निर्माण नगर निगम ने ही कराया है तो पुरानी घटनाओं को ध्यान रखते हुए लोगों के सवालों को गलत नहीं ठहराया जा सकता।
दूसरे स्वच्छता सर्वेक्षण के पूर्व पिछले कुछ महीनों से बड़े और नई डिजाइन के टॉयलेट बनाए जा रहे हैं। इन पर पानी की टंकी भी रखी जा रही है और लाइट भी लगाई जा रही है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि इनका मेंटेनेंस निरंतर किए जाने और वहां साफ-सफाई हर दिन कराने की जिम्मेदारी कौन निभाएगा? ऐसे टॉयलेट शहर से बाहर एमआर-टेन, रिंग रोड, एबी रोड पर भी बनाए जा रहे हैं। निर्माण और सफाई कार्य पर इतनी बड़ी राशि खर्च हो रही है कि फिलहाल निगम ने अन्य कार्य कर रहे ठेकेदारों के बिलों को भुगतान ही रोक दिया है। केवल उन्हीं कार्यों का भुगतान हो रहा है जो स्वच्छता सर्वेक्षण से संबंधित हैं।
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