इंदौर। प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस की मेहमान के रूप में महाकाल मंदिर में दर्शन करने पहुंची दिव्यांग अतिथि के साथ बदसलूकी हुई। वे इतनी परेशान हो गईं कि रो पड़ीं और यहां तक कहा कि वे अब प्रधानमंत्री को ट्वीट कर पूछेंगी कि दिव्यांगों के नाम पर देश भर में सुर्खियां क्यों बटोरते हो।
यह मामला किसी सामान्य व्यक्ति के साथ नहीं बल्कि माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराने वाली देश की पहली दिव्यांग अरुणिमा सिन्हा के साथ हुआ। वे महाकाल मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए गत दिवस उज्जैन पहुंचीं थी। मंदिर की पुलिस चौकी में पहले से ही उनका नाम प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस के नाम पर दर्ज था। चौकी पर सूचना देकर अरुणिमा ने मंदिर परिसर में प्रवेश किया। मंदिर में भस्मारती चल रही थी। वहां तैनात कर्मचारियों ने उन्हें नंदी हॉल के ऊपर बैठा दिया जहां उन्होंने टीवी स्क्रीन पर आरती देखी। आरती के बाद जब वे गर्भगृह में जाने के लिए आगे बढ़ीं तो सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया। उन्होंने अपना परिचय दिया तब भी सुरक्षाकर्मियों ने उनकी एक नहीं सुनी। काफी देर तक वे अरुणिमा से बहस करते रहे। अंत में सुरक्षाकर्मियों ने अपने स्तर पर ही निर्णय लिया और कहा कि आप अकेली जा सकती हो, आपके साथ मौजूद दो अन्य महिलाओं को नहीं जाने दिया जाएगा। अरुणिमा ने उन्हें बताया कि वे मंत्रीजी की मेहमान हैं, दिव्यांग होने के कारण साथ आई महिलाओं को भी जाने दें लेकिन वे नहीं माने और अकेले ही अंदर जाने की अनुमति दी। इसके बाद जब अरुणिमा नंदी हॉल में जाने लगी तो फिर उन्हें रोक दिया गया। उन्होंने रोकने वाले कर्मचारियों से कहा कि जब अन्य लोग आ-जा रहे हैं तो मुझे क्यों रोका जा रहा है लेकिन एक बार फिर उनसे बदसलूकी करते हुए कहा गया कि हॉल में नहीं जाने देंगे। यहां भी अरुणिमा को बार-बार आग्रह करना पड़ा, काफी देर बाद कर्मचारियों ने उन्हें अंदर जाने दिया।
इस पूरे वाकये ने अरुणिमा को विचलित कर दिया। वे रो पड़ीं और कहा कि जहां साक्षात भगवान शिव रहते हैं अर्थात हिमालय पर जाने में मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई लेकिन यहां भगवान महाकाल के दर्शन करने के दौरान बहुत परेशान किया गया। उन्होंने कहा कि वे इसकी जानकारी मंत्री श्रीमती चिटनीस को भी देंगी। अरुणिमा दर्शन के बाद इंदौर आकर फ्लाइट से रवाना हो गईं । वे तो चली गईं लेकिन मंदिर में हो रही अव्यवस्थाओं पर कई सवाल छोड़ गईं। ये ऐसे सवाल हैं जिनका हल होना जरूरी है ताकि भविष्य में अन्य लोगों को इस तरह की परेशानी न हो। उनके जाने के बाद अब मंदिर प्रशासक अवधेश शर्मा कह रहे हैं वे सीसीटीवी देख कर पता करेंगे कि कहां चूक हुई।
महाकाल मंदिर परिसर में अव्यवस्थाओं का दौर कभी खत्म नहीं होता। किसी भी क्षण अचानक व्यवस्थाओं में परिवर्तन कर दिया जाता है जिससे श्रद्धालुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई घंटों तक लाइन में लगने के बाद जब वे गर्भगृह के नजदीक पहुंचते हैं तब उन्हें कहा जाता है कि बाहर से दर्शन करने पड़ेंगे अंदर नहीं जाने दिया जाएगा। इसी बीच वहां तैनात कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी अपनी मर्जी से लोगों को गर्भगृह में जाने भी देते हैं। अन्य लोग आपत्ति लेते हैं तो उनसे दुर्व्यवहार किया जाता है। श्रद्धालु यदि गर्भगृह में अंदर चले भी गए तो वहां इतनी तेजी से धकेला जाता है कि वे ठीक से दर्शन-पूजन भी नहीं कर पाते हैं। धकेले जाने वाले लोगों के सामने ही कुछ लोग मंदिर में बड़े आराम से बैठ कर पूजन करते दिखाई देते हैं। इस पर आपत्ति लेने वालों की कोई सुनवाई नहीं होती है। महाकाल मंदिर में देश भर से लोग दर्शन करने आते हैं, इसके बावजूद यहां की व्यवस्थाओं पर सख्त निगरानी नहीं रखी जाने से श्रद्धालुओं को परेशानी होती है।
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