इंदौर। यह खेल लगातार चलता रहता है और यातायात पुलिस के सामने होता रहता है फिर भी कुछ असर नहीं पड़ता। शहर के व्यस्ततम चौराहों पर ट्रैवल्स संचालक जिस तरह से कब्जे कर रहे हैं उससे साफ जाहिर होता है कि यह निश्चित रुप से बिना सहमति के तो हो नहीं रहा होगा।
केस-1
समय रात के 8 बजे, स्थान पटेल ब्रिज
जवाहर मार्ग पर स्थित यह चौराहा अपने आप में व्यस्ततम चौराहों में शुमार होता है। यहां पर ट्रेवल्स वालों के ढेर सारे आॅफिस हैं और यहां से शाम को पांच बजे के बाद से ही बसों की लाईन लगना आरंभ हो जाती है। हालत यह हो जाते हैं कि रात को आठ बजे तक पटेल ब्रिज के दोनों तरफ लंबी लंबी बसें कतारबद्ध होकर खड़ी हो जाती हैं जिनमें ऊपर तक माल भरा जाता है और ब्रिज पर से आम व्यक्ति को निकलने के लिए जरा सी जगह बची रहती है। यहां पर लगातार ट्रैफिक जाम होता रहता है परंतु कोई देखने वाला ही नहीं। ट्रेवल्स वालों को बोलो तो वे किसी की सुनते नहीं और पुलिस वाले तो वहां पर होते ही नहीं।
केस 2
लाबरिया भेरु के आसपास का क्षेत्र
समय रात 8.30 बजे से
पटेल ब्रिज से निकल कर गुजरात की ओर जाने वाली सभी बसों का डेरा लाबरिया भेरु चौराहा ही होता है। यहां पर सवारियां भी बैठाई जाती हैं और फिर अतिरिक्त माल भी भरा जाता है। अब बस पूर्ण रुप से तैयार हो जाती है याने भीतर यात्री कितने भी बैठें बस के ऊपर माल जोरदार भरा जाना चाहिए। बस की ऊँचाई इतनी ज्यादा हो जाती है कि कई बार बिजली के तारों को ऊपर उठाने के लिए एक व्यक्ति को लकड़ी का डंडा लेकर छत पर बैठाना पड़ता है पर इससे पुलिस को क्या? पुलिस वाले इस चौराहे पर भी आसपास ही रहते हैं पर कार्रवाई कभी नहीं होती।
इस प्रकार के अन्य चौराहे जैसे राजेन्द्र नगर, रेडिसन, भंवरकुआं शहर में मौजूद हैं जहां पर दिनभर इस प्रकार की ट्रैफिक जाम करने वाली गतिविधियां होती रहती हैं पर यातायात पुलिस भी मूकदर्शक की मानिंद खड़ी रहती है और ट्रैफिक जाम होते हुए देखते रहती है। इस समस्या को हल करने के लिए यातायात पुलिस को ही सजग होना होगा और बिना किसी परहेज के कार्रवाई करनी होगी।
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