इंदौर। शहर के अधिकांश स्कूल शहर के बाहर ही स्थित हैं जिनमें से बायपास और उसके आसपास ढेर सारे स्कूल हैं। इन स्कूलों में रोजाना हजारों की संख्या में बच्चे जाते हैं। डीपीएस स्कूल की बस दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद से शहरभर के हजारों पालक इस चिंता में हैं कि अब बायपास स्थित स्कूलों में बच्चों को भेजें या नहीं।
दरअसल बायपास पर मौजूद स्कूलों में जाने और आने में काफी समय लगता है और दुर्घटना के बाद सभी के माथे पर चिंता की लकीरे हैं।
जरा सी देर होती है तो होने लगती है चिंता
अपने लाड़लों को शहर से दूर भेजते समय माता पिता को चिंता होती है और शाम को बस अगर पांच मिनट भी लेट हो जाती है तब स्कूलों में फोन घनघनाना आरंभ हो जाते हैं।
ड्राइवर मोबाईल पर बात करते रहते हैं
सभी स्कूलों में ट्रांसपोर्ट इंचार्ज होते हैं और जब पालक स्कूल में फोन लगाते हैं तब ट्रांसपोर्ट इंचार्ज बस ड्रायवर को फोन लगाते हैं। इतना ही नहीं कई पालक भी बस ड्रायवरों का मोबाईल नंबर अपने पास रखते हैं और देर हो जाने पर फोन लगाते हैं। बस ड्रायवर बस चलाते समय इस प्रकार के सभी कॉल्स का जवाब देते हैं। इससे भी दुर्घटना का डर लगातार बना रहता है। जबकि इन बसों में जीपीएस सिस्टम लगाना आवश्यक बताया जाता है परंतु स्कूलों द्वारा इस प्रकार की कोई भी सुविधा नहीं दी जा रही है। इस दुर्घटना ने कई प्रश्न भी खड़े कर दिए हैं और पालकों के मन में डर भी पैदा कर दिया है कि अब बायपास के स्कूलों में बच्चें भेजे या नहीं?
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