इंदौर। बेटे को आज स्कूल से आने में थोड़ी देर हो गई...घर वाले सोच रहे थे कि शायद स्कूल में कुछ काम होगा परंतु थोड़ी ही देर में बस दुर्घटना की खबर आ गई जिसने घरवालों के होश ही उड़ा दिए। बायपास पर हुई भीषण दुर्घटना में कई परिवारों के चिराग बुझ गए। मां घर पर बच्चों का इंतजार करती रह गई कि टाइम हो गया है और अब वो आने ही वाला है पर कुछ ही देर में पता चला कि अब वो कभी नहीं आएगा। पिता को खबर लगी तो वे अस्पताल की ओर दौड़ पड़े। कई परिवारों में कोहराम मच गया।
अब सवाल यह उठता है कि दुर्घटना के लिए जिम्मेदार कौन? स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है और कोर्ट ने स्कूल बसों में सुरक्षा के मामले को लेकर गाइड लाइन भी जारी की है लेकिन जिन अधिकारियों पर इस गाइड लाइन का पालन कराने की जिम्मेदारी है क्या वे सख्ती से इसका पालन करा रहे हैं? क्या स्कूल बसों की जांच करते समय उन्हें यह ध्यान रहता है कि यही वो बस है जिसमें माता-पिता अपने मासूम को स्कूल भिजवाते हैं। जांच करने वाले अधिकारियों के बच्चे भी तो किसी न किसी स्कूल में पढ़ते होंगे, क्या जांच करते समय उन्हें अपने बच्चों के चेहरे भी ध्यान नहीं आते? साल भर में केवल एक बार बसों की जांच की जाती है और बाद में एक-दो बार केवल औपचारिकता पूरी की जाती है।
जब भी कोई बड़ी दुर्घटना होती है इंदौर से लेकर भोपाल तक जनाक्रोश को शांत करने का स्वांग रचा जाता है। इस बार भी ऐसा ही होगा। मामले की जांच के आदेश दे दिए जाएंगे। एक-दो सप्ताह तक स्कूलों में जा-जाकर बसों की जांच कर यह अभिभावकों को यह जताने की कोशिश की जाएगी कि शासन-प्रशासन बहुत सतर्क है और किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हो सकता है कि एक-दो स्कूल संचालकों के विरुद्ध केस भी दर्ज कर लिया जाए लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे कार्रवाई की गति धीमी कर अंत में अधिकारी फिर अपने-अपने केबिन में जाकर बैठ जाएंगे। यही सब चलता रहा तो व्यवस्था सुधरने की उम्मीद नहीं की जा सकती।
मासूमों को ऐसे लोगो के भरोसे भेजते हैं
कुछ समय पूर्व बस ड्रायवरों और कंडक्टरों की जांच में यह बात भी सामने आई थी कि कई लोगों पर आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिर जांच किस बात की होती है।
बायपास की दुर्घटना में जांच की बात की जा रही है कि क्या वाकई स्टीयरिंग फेल हुआ कि ड्रायवर की गलती थी। जांच भी हो जाएगी और जांच ठंडे बस्ते में चली जाएगी परंतु जिन मासूमों की मौत हुई है उनके परिजनों के बारे में जरा सोचें क्या बीत रही होगी उन पर।
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