इंदौर। यह समझ में नहीं आ पा रहा है कि डीपीएस बस दुर्घटना के बाद अब तक सब कुछ सामान्य क्यों नहीं हो पा रहा है। क्या मुख्यमंत्री की किरकिरी के बाद अधिकारी अब तक नाराज हैं या सही मायने में आम जनता नाराज है। मुख्यमंत्री ने इस मामले में देरी से इंदौर आने का निर्णय लिया और पीड़ितों से मुलाकात की परंतु जिस प्रकार से मुख्यमंत्री को प्रोजेक्ट किया गया उससे निश्चित रुप से शासन प्रशासन की छवि धूमिल हुई और इसके बाद अधिकारियों का जो रुख सामने आया वह निश्चित रुप से ऐसा था जिसमें ऐसा लग रहा था कि अधिकारियों ने जमकर डांट खाई है। वे सड़कों पर निकले और जमकर डंडा चलाया। उनकी देखादेखी आम जनता भी सही मायने में कानून की बात करने लगी पर जब मुसीबत आम जनता को होने लगी तब यही आम जनता अपने बच्चों को वैन और रिक्शा में भी बैठाने में राजी हो गई। आखिर अब अधिकारी नाराज हैं या सही मायने में अब भी आम जनता नाराज है यह पता ही नहीं पड़ पा रहा है। शहर ने तीन से चार दिनों तक स्कूलों के बाहर जो हंगामा देखा है वह अपने आप में ऐसा था जैसे सभी स्कूलों में अपराधी ही हों और प्रत्येक स्कूल सभी को लूटने के लिए ही बैठा हो। वैन वालों को बैन कर दिया और नियमों का हवाला दिया पर जब इसमें कांग्रेस का साथ वैन वालों को मिला तब भाजपा के भीतर यह हलचल हो गई कि बैठे बिठाए कांग्रेस को मुद्दा मिल जाएगा...लिहाजा धीरे से सभी को अनुमति मिल गई। अब सभी बच्चे जा रहे हैं स्कूल पर अब आम जनता पुलिस हो गई है कोई स्कूलों की चेकिंग कर रहा है तो कोई स्कूल बस का पीछा करने का वीडियो सोशल मीडिया पर डाल रहा। इस सबसे क्या मिलना है? क्या कोई फिर से दुर्घटना न होने की ग्यारंटी दे सकता है।
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