इंदौर। जैसी कि संभावना थी उसी अनुरुप शासन ने कदम भी उठाया। चुनाव का साल होने के कारण शासन को अवैध कॉलोनियों को वैध करने का मुद्दा फिर याद आ गया। एक बार फिर कहा गया कि 31 दिसंबर 2016 के पहले की कॉलोनियों को वैध किया जाएगा। इन कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा पिछले विधानसभा चुनाव के पूर्व भी की गई थी। हाल ही में हुई घोषणा से लोगों को कोई खुशी महसूस नही हुई क्योंकि घोषणा और आश्वासन सुन-सुन कर वे निराश हो चुके हैं।
शहर में अवैध कॉलोनियों की संख्या पूरे प्रदेश में सबसे अधिक है। नगर निगम के रिकॉर्ड के अनुसार ऐसी कॉलोनियों की संख्या 419 बताई जाती है लेकिन यह आंकड़ा पुराना हो चुका है। नया सर्वे होने के बाद ही वास्तविक आंकड़ा पता चलेगा। इसके अलावा जिन 29 गांवों को शहर सीमा में शामिल किया गया है उन क्षेत्रों में स्थित अवैध कॉलोनियों की जानकारी भी इसमें जोड़नी पड़ेगी। पिछले करीब 20 वर्षों से अवैध कॉलोनियों के रहवासी केवल घोषणाएं ही सुनते आ रहे हैं। पहले कांग्रेस के शासनकाल में और अब भाजपा शासन में भी यही स्थिति बनी हुई है। घोषणा के आगे एक कदम भी नहीं बढ़ा है। सब कुछ कागजों में ही चलता रहा। लोग राह देखते रहे कि उनकी कॉलोनी का सर्वे होगा और कार्रवाई पूर्ण करने के बाद वे वैध कॉलोनी के निवासी के रूप में अपने मकान या प्लॉट की रजिस्ट्री करा सकेंगे लेकिन यह सपना अब तक अधूरा ही है।
लोगों की आस अब टूटती जा रही है और शासन द्वारा गत दिवस की गई घोषणा से उन्हें कोई खुशी नहीं हुई। कुछ अवैध कॉलोनियों के रहवासियों से जब चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें बिलकुल भी उम्मीद नहीं है कि कॉलोनी वैध होगी। हम कई वर्षों से सुनते आ रहे हैं। कॉलोनी वैध नहीं होने से मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। कॉलोनी वैध होगी तो रजिस्ट्री हो सकेगी और उससे हमें बैंक से लोन मिल सकेगा। लोन की राशि से मकान में सुधार किया जा सकेगा। कभी भोपाल से आश्वासन मिलता है तो कभी लोकल अधिकारी कहते हैं कि बस अब कॉलोनी वैध होने वाली है लेकिन बात उसके आगे कभी नहीं बढ़ती।