इंदौर। एक ओर गुजरात नर्मदा का पानी मप्र से मांग रहा है वहीं दूसरी ओर मप्र के ही कई शहर नर्मदा की ंओर आस लगाकर देख रहे हैं। गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत को देखते हुए अभी से शहरों और ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल के इंतजाम की योजना तैयार की जा रही है। इंदौर केसाथ ही अब देवास और उज्जैन भी अब पूरी तरह नर्मदा पर निर्भर हो गए हैं।
जानकारों का कहना है कि यदि मप्र ने गुजरात को पानी दिया तो इसका असर इंदौर, देवास और उज्जैन पर भी देखने को मिल सकता है। गुजरात को पानी दिए जाने के पूरे आसार हैं क्योंकि गुजरात प्रधानमंत्री का गृह क्षेत्र है और वहां के आग्रह को मप्र के लिए टाल पाना मुश्किल है। नर्मदा का भरपूर पानी मिलने के बाद भी इंदौर की प्यास बुझ नहीं पा रही है। वर्षाकाल समाप्त होने के अगले माह से ही लोग पानी के लिए भटकते दिखाई देने लगते हैं। शहर के अधिकांश घरों में नलों में सीधे मोटर लगा कर पानी खींचना पड़ रहा है तब जाकर प्रतिदिन की जरूरत के मुताबिक पानी मिल पाता है। यदि नर्मदा का पानी कम मात्रा में शहर को मिला तो क्या हाल होंगे।
देवास को नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना से पानी मिल रहा है। फिलहाल देवास का शिप्रा डेम नर्मदा के पानी से भरा हुआ है। गर्मी का मौसम शुरु होते ही उज्जैन के लिए यहां से पानी छोड़ा जाएगा लेकिन देवास से उज्जैन के बीच मोटर पम्प लगा कर खेतों में सिंचाई कर लेने से उज्जैन तक पहुंचते-पहुंचते पानी की मात्रा कम हो जाती है। प्रशासन कितनी भी निगरानी रख ले लेकिन पानी की चोरी रोक पाना संभव नहीं हो पाता है। इसके अलावा लिंक योजना से उज्जैनी गांव से देवास के बीच भी पानी से सिंचाई हो रही है। अब देवास और उज्जैन प्रशासन द्वारा यह कोशिश की जा रही है कि एनवीडीए के डेम से अतिरिक्त पानी लिंक योजना के लिए प्राप्त किया जाए ताकि पानी का संकट न हो। यदि गुजरात को पानी दिया गया तो अतिरिक्त पानी मिलने की संभावन खत्म हो जाएगी।