इंदौर। पिछले 25 सालों से अपने हक के लिए लड़ाई लड़ रहे हुकुमचंद मिल के मजदूरों ने सोमवार को रीगल तिराहे पर प्रदर्शन किया। सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर गांधीजी की प्रतिमा के चरणों में ज्ञापन रखा।
हुकुमचंद मिल कभी इंदौर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश का सबसे बेहतर कपड़ा मिल हुआ करती थी। यहां निर्मित कपड़ा निर्यात किया जाता था। मिल अचानक बंद हो गई और मजदूरों के हक की राशि भी विवाद में फंस गई। पिछले 25 वर्षों से मजदूर और उनके परिवार के सदस्य इस राशि को पाने के लिए लगातार आंदोलन कर रहे हैं। पहले कांग्रेस की सरकार रही और अब भाजपा की लेकिन मजदूरों तक उनका पैसा नहीं पहुंच पाया। मिल के 6 हजार मजदूरों में से कई तो दिवंगत हो चुके हैं। उनके बाद परिजन यह लड़ाई लड़ रहे हैं।
रीगल तिराहे पर सोमवार सुबह अचानक मजदूरों की भीड़ पहुंची। मजदूरों ने मप्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और फिर गांधीजी की प्रतिमा के चरणों में ज्ञापन रखा। जिसमें कहा गया है कि प्रदेश सरकार द्वारा हुकुमचंद मिल के मजदूरों की बकाया राशि के मामले में जानबूझकर देरी की जा रही है। मजदूरों को उनके हक के 229 करोड़ रुपए का भुगतान प्रदेश सरकार द्वारा किया जाना है लेकिन अब तक केवल 50 करोड़ रुपए ही दिए गए हैं। मजदूर नेता हरनामसिंह धारीवाल ने कहा कि राज्य सरकार को मिल की जमीन बेचकर मजदूरों के पैसों का भुगतान करना है लेकिन इस कार्य में जानबूझकर देरी की जा रही है। मजदूरों को ग्रेजुएटी, वेतन के करोड़ों रुपए का भुगतान होना है। कोर्ट ने मिल की जमीन को बेचकर मजदूरों को पैसा देने को कहा था। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि मजदूरों को 50 करोड़ रुपए का अंतरिम भुगतान किया जाए। इस आदेश के खिलाफ भी सरकार ने सर्वोच्च न्यालालय में अपील दायर कर दी थी।