इंदौर में पुलिस को एक बार फिर जांच का दौरा पड़ा है। साल भर में कई बार ऐसे दौरे पड़ते हैं और जब तक दौरे का असर रहता है तब तक ही जांच होती है तथा वाहन चालकों के चालान बनाए जाते हैं। वर्तमान में ट्रैफिक पुलिस और थानों की पुलिस एक बार फिर सड़कों पर है। अचानक पुलिस को हेलमेट की याद आ गई। जिन्होंने हेलमेट नहीं पहने उनके चालान बनाए जा रहे हैं। हेलमेट पहनना अनिवार्य है और जिन्होंने नहीं पहने हैं उनके चालान बनना ही चाहिए लेकिन पूरे साल में हर दिन ऐसा नहीं होता है। कभी-कभी अचानक पुलिस चालान बनाने लगती है और कुछ दिन बाद सभी को अघोषित छूट दे दी जाती है। लोग खुलेआम बिना हेलमेट के घूमते रहते हैं। कई पुलिसकर्मी भी हेलमेट पहने बिना ही घूमते हैं। अब हेलमेट के साथ ही पुलिस वाहन के कागजातों की जांच भी कर रही है। सुबह-सुबह अचानक पुलिस को सामने देख कई वाहन चालकों ने पुरानी तरकीबों का उपयोग कर बचने की कोशिश की लेकिन पुलिस अधिकारियों ने एक न सुनी और नियमों का उल्लंघन करने वालों के चालान बनाए। इस कार्रवाई के बीच एक अफसर वाहन चालक को डांटते हुए यह कहते नजर आए कि पिछले साल की तुलना में इस बार चालान काफी कम बने हैं। इस कारण आंकड़ा पूरा करना है, चालान तो बनेगा। सवाल यह उठता है कि ट्रैफिक को बेहतर बनाने के लिए चालान बनाए जा रहे हैं अथवा आंकड़ा पूरा करने के लिए। यदि ट्रैफिक को बेहतर बनाना है तो 365 दिन ऐसी ही कार्रवाई के लिए पुलिस को सड़क पर मौजूद रहना चाहिए। यदि वाकई ऐसा होता है तो स्वच्छता में नंबर वन की तरह ट्रैफिक में भी शहर नंबर वन बन सकता है।