बढ़ता ही जा रहा है डोकलाम विवाद

नई दिल्ली। डोकलाम में जारी तनाव के बीच चीनी सेना ने गत दिवस शक्ति प्रदर्शन किया। पीपल्स लिबरेशन आर्मी की स्थापना के 90 साल पूरे होने पर उत्तरी चीन स्थित सैन्य बेस पर परेड का आयोजन किया गया। जिसमें नए फाइटर जेट्स से लेकर कई सैन्य टुकड़ियों ने हिस्सा लिया। राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी मौजूद थे। उन्होंने चीनी सेना से युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा।न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक ऐसा पहली बार हुआ है जब चिनफिंग ने सैन्य टुकड़ियों का इस तरह मुआयना किया हो। वे सेना की वर्दी में थे। 1949 के कम्युनिस्ट आंदोलन के बाद ऐसा भी पहली बार हुआ है जब 1 अगस्त को मनाए जाने वाले आर्मी डे से दो दिन पहले चीन ने अपनी सैन्य ताकत का इस तरह प्रदर्शन किया हो। टैंक, न्यूक्लियर मिसाइल्स, पारंपरिक फाइटर जेट्स से लेकर अत्याधुनिक जे 20 स्टेल्थ विमान परेड में शामिल हुए।पूरी दुनिया में चीन के पास सबसे बड़ी पैदल सेना है। चीन फिलहाल सेना के आधुनिकीकरण में जुटा है। इसी क्रम में उसने पैदल सैनिकों की संख्या घटाकर तकनीकी विकास पर ज्यादा जोर देने का फैसला किया है। उधर, डोकलाम सीमा पर करीब दो महीने से भारत और चीन की सेना आमने-सामने है। चीनी मीडिया और अधिकारियों द्वारा बार-बार युद्ध की धमकियों के बीच तनाव कम करने की कोशिशें कामयाब होती नहीं दिख रही हैं। भारतीय एनएसए अजीत डोभाल भी हाल ही में चीन के दौरे पर थे, लेकिन सिक्किम सीमा पर जारी गतिरोध को दूर करने का कोई रास्ता नहीं निकल पाया।न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक सैन्य निरीक्षण के बाद राष्ट्रपति ने कहा कि पीएलए को जंग की तैयारियों को ही अपना एकमात्र और आधारभूत पैमाना बनाना चाहिए। फोकस हमेशा जंग की तैयारियों पर होना चाहिए ताकि वे खुद को विशिष्ट और अति शक्तिशाली सेना में तब्दील कर सकें जो न केवल जंग लड़ने के लिए हमेशा तैयार और सक्षम हो बल्कि हमेशा जीत भी हासिल कर सके। राष्ट्रपति ने अधिकारियों और सैनिकों से यह भी अपील की कि वे सेना को राजनीतिक तौर पर ज्यादा जागरूक बनाएंं। वे साइंस और तकनीक का इस्तेमाल करके सेनाएं विकसित करें और उनका नियंत्रण कानून के दायरे में करें। वहीं उत्तराखंड के चमोली में चीनी सेना जवानों के घुसने के बाद यह विवाद ओर भी बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। 
डोकलाम : भारत-चीन के बीच तनावक्या है डोकलाम विवादडोकलाम इलाके को भूटान में डोलम कहा जाता है। करीब 300 वर्ग किलोभीटर का यह क्षेत्र चीन की चुंबी वेली से जुड़ा हुआ है। भारतीय सीमा में यह क्षेत्र सिक्किम के नाथुला के करीब है। इस इलाके को ट्राई जंक्शन कहा जाता है। चीन की चुंबी वैली का आखिरी शहर याटंूग यहीं है। चीन याटूंग से डोकलाम तक सड़क बनाना चाहता है। पहले भूटान ने और फिर भारत ने इस सड़क निर्माण का विरोध किया। डोकलाम में भारतीय सेना को सामने देख कर चीन ने आपत्ति ली। 16 जून से दोनों देशों की सेना डोकलाम में आमने-सामने हैं। चीन द्वारा भारत से सेना हटाने के लिए कहा जा रहा है लेकिन भारत ने सेना को नहीं हटाया। अब चीन युद्ध की धमकी दे रहा है। नाथुला पास से डोकलाम की दूरी 15 किलोमीटर है। चुंबी घाटी स्थित डोकलाम भारत और चीन के लिए काफी महत्वपूर्ण है। वर्ष 1988 और 1998 में चीन और भूटान के बीच डोकलाम में शांति बनाए रखने का समझौता हुआ था। 1949 में भारत और भूटान के बीच हुई संधि में तय किया गया था कि भूटान की विदेश नीति और रक्षा मामलों में भारत भूटान का मार्गदर्शन करेगा। 2007 में हुई नई संधि में तय किया गया कि भूटान को भारत से निर्देश लेना अनिवार्य नहीं बल्कि वैकल्पिक रहेगा। डोकलाम में चीन सड़क बनाने की कोशिश कर रहा है। जिसका भारत विरोध कर रहा है। यदि सड़क बन गई तो चीनी सेना का आवाजाही सुगमतापूर्वक होगी। सड़क बनने से चीन की जद में सिलीगुड़ी और आसपास का इलाका आ जाएगा। साथ ही पूर्वोत्तर भारत से जुड़ने वाला हिस्सा भी चीन की जद में आ जाएगा। इससे युद्ध की स्थिति में पूर्वोत्तर भारत के शेष भारत से कटने का खतरा उत्पन्न हो जाएगा।  क्या कहता है चीनचीन के सरकारी न्यूज पेपर द ग्लोबल टाइम्स के अनुसार चीन अपनी जमीन का एक इंच हिस्सा भी खोना नहीं चाहता। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (चीनी सेना) को डोकलाम इलाके से वापस नहीं बुलाया जाएगा। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा संसद में दिए बयान को अखबार ने झूठा करार दिया है। अखबार का कहना है कि भारत ने चीन की जमीन पर घुसपैठ की है। यदि सैन्य तरीके से मामले को हल करना पड़ा तो चीन की ताकत बहुत अधिक है।