नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक के मुद्दे पर मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इस पर फिलहाल 6 महीने की रोक लगा दी है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीन तलाक पर कानून बनाने के निर्देश भी दिए हैं। तीन तलाक का मुद्दा कई बार उठा लेकिन किसी राजनीतिक दल या सरकार ने इस पर निर्णय नहीं लिया। केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद 7 अक्टूबर 2016 को राष्ट्रीय विधि आयोग ने जब इस मसले पर लोगों की राय मांगी तो देश में बहस की शुरूआत हुई। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर खुद संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की। बाद में इससे संबंधित 6 अन्य याचिकाएं भी दाखिल हुईं जिनमें से 5 में तीन तलाक को खत्म करने की मांग की गई। तीन तलाक के विरोध और पक्ष में दलीलें रखी गईं। केंद्र सरकार ने तीन तलाक को महिलाओं के साथ भेदभाव बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की।30 मार्च 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किया कि इससे जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुनवाई पांच जजों की संविधान पीठ करेगी। यह मसला बहुत गंभीर है और इसे टाला नहीं जा सकता। कोर्ट ने सभी संबधित पक्षों से लिखित में अपनी बात अटॉर्नी जनरल के पास जमा कराने को कहा।केस को समानता की खोज बनाम जमात उलेमा-ए-हिंद नाम दिया गया। केस की सुनवाई करने वाले पांचों जज अलग-अलग समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जे एस खेहर सिख समुदाय से हैं, तो जस्टिस कुरियन जोसेफ ईसाई हैं। आर. एफ नरीमन पारसी हैं तो यू.यू. ललित हिंदू और अब्दुल नजीर मुस्लिम समुदाय से हैं। 11 मई 2017 को इस मसले पर संविधान बैंच ने सुनवाई शुरू की जो लगातार 6 दिनों तक जारी रही। दोनों पक्षों के बीच जोरदार बहस हुई और कोर्ट की ओर से भी कई टिप्पणियां की गईं। कुरान, शरीयत और इस्लामिक कानून के इतिहास पर भी बहस हुई। संविधान के अनुच्छेदों पर विस्तार से दलीलें पेश की गईं।आॅल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड ने दलील दी कि तीन तलाक इस्लाम का मूल हिस्सा नहीं है। कुरआन में तलाक के लिए पूरी प्रक्रिया बताई है जिसमें तीन तलाक का कहीं भी जिक्र नहीं है। कुरआन इस्लामिक शास्त्र है।6 दिनों की सुनवाई के बाद 18 मई को कोर्ट ने इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया। 22 मई को आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक नया हलफनामा दायर किया। बोर्ड ने कहा है कि वह अपनी वेबसाइट, विभिन्न प्रकाशनों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से लोगों को एडवाइजरी जारी करेगा और तीन तलाक के खिलाफ जागरूक करेगा।
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