सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा- सांसद या विधायक बनने के बाद नेताओं की संपत्ति में कई गुना इजाफा कैसे हुआ?


नई दिल्ली। सांसद या विधायक बनने के बाद नेताओं की संपत्ति में हुई वृद्धि पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रूख अपनाया है। जिन नेताओं की संपत्ति में तेजी से वृद्धि हुई है उनके संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। रिपोर्ट में यह बताना होगा कि इस मामले में सरकार ने क्या कार्रवाई की। ऐसे करीब 289 नेताओं के नाम कोर्ट के सामने पहुंचे हैं। इनमें हर राजनीतिक दल का कोई न कोई नेता शामिल है। कुछ मामले तो ऐसे भी हैं, जिनमें संपत्ति पिछले पांच साल में 500 प्रतिशत तक बढ़ गई है। इस पर कुछ सांसदों का यह भी तर्क होता है कि उनकी प्रॉपर्टी का मूल्यांकन वर्तमान बाजार मूल्य से किया जाता है। व्यापार से प्राप्त आय के चलते उनकी संपत्ति में इतना उछाल आया है। कोर्ट ने कहा है कि इसकी हर स्तर पर जांच होनी चाहिए ताकि स्पष्ट हो सके कि नेताओं की आय में वृद्धि वैध तरीके से हुई है अथवा अवैध तरीके से।इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस जे. चेलामेश्वर और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की बैंच ने कहा कि आय का स्रोत जानने के लिए जांच जरूरी है। यह भी पता लगाया जाए प्रॉपर्टी का आकलन कानूनी तौर पर कितना सही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई की जा रही है। एनजीओ ने कोर्ट से आग्रह किया है कि चुनावी के दौरान शपथ में आय के साधन का कॉलम जोड़ा जाए ताकि उम्मीदवारों को यह बताना अनिवार्य रहे कि उनकी आय के क्या-क्या साधन हैं। सरकार की ओर से इस मामले में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी। कोर्ट ने कहा कि सीबीडीटी द्वारा सौंपे गए हलफनामे में दी गई जानकारी अधूरी थी। ऐसा लगता है जैसे केंद्र इस मामले में जानकारी देने में अनिच्छुक दिख रहा है। अब कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि एक हफ्ते में विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत किया जाए। केंद्र की ओर से वरिष्ठ वकील के. राधाकृष्णन कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि ऐसे मामले में शामिल जो लोग चुनाव लड़ रहे हैं उनकी जांच चल रही है।  जिन मामलों में छानबीन जरूरी लगी उन्हें जांच के अंतर्गत लाया गया। कोर्ट ने पूछा कि आपने अब तक क्या किया है? सरकार कह रही है कि वह कुछ सुधार के खिलाफ नहीं है। जरूरी सूचना अदालत के रेकॉर्ड में होनी चाहिए।