48 ट्रेनों को सुपरफास्ट घोषित किया, रेलवे को करीब 70 करोड़ की आय होगी

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने 48 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों को सुपरफास्ट घोषित कर उनका किराया बढ़ा दिया है। इन ट्रेनों से यात्रा करने पर स्लीपर के लिए 30 रु., सेकंड और थर्ड एसी के लिए 45 रु. और फर्स्ट एसी के लिए 75 रु.अतिरिक्त सुपरफास्ट चार्ज देना पड़ेगा। इस किराया वृद्धि से रेलवे को प्रतिवर्ष 70 करोड़ रुपए की कमाई होगी। सुपरफास्ट ट्रेनों की कुल संख्या अब 1072 हो गई है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि रेलवे ने इन ट्रेनों की स्पीड केवल 5 किलोमीटर प्रति घंटे की दर से बढ़ाकर 50 से 55 कि.मी. प्रति घंटा की है। इसके अलावा अन्य किसी भी प्रकार की सेवा में कोई सुधार नहीं किया गया है। इन ट्रेनों को सुपरफास्ट घोषित करने के बाद भी रेलवे ने इस बात की कोई गारंटी नहीं दी है कि ये ट्रेनें समय पर चलने लगेंगी। 

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने जुलाई में पेश अपनी पिछली रिपोर्ट में सुपरफास्ट चार्ज पर रेलवे की आलोचना की थी। कैग ने कहा था कि जांच के दौरान पाया गया कि 2013 से 2016 के बीच उत्तर-मध्य और दक्षिण मध्य रेलवे ने यात्रियों से 11.17 करोड़ रुपए सुपरफास्ट चार्ज के रुप में वसूले जबकि 21 सुपरफास्ट ट्रेनें 55 कि.मी./घंटा की तय रफ्तार से नहीं चली ही नहीं। रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक इस साल जुलाई, अगस्त और सितंबर में 890 सुपरफास्ट ट्रेनें देरी से चलीं।