नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को आईएनएस कलवरी को देश को समर्पित किया। इस प्रोजेक्ट के लिए अक्टूबर 2005 में करार हुआ था। अधिकारियों का कहना है कि भले ही आईएनएस कलवरी में विलंब हुआ हो पर यह समुद्र में युद्ध की हर कला में पारंगत है। इससे समुद्र में भारत की ताकत बढ़ गई है। यह डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन है। इस समय सेना के पास 13 पारंपरिक सबमरीन हैं। गहरे समुद्र में पाई जाने वाली खतरनाक टाइगर शार्क के नाम पर सबमरीन का नाम आईएनएस कलवरी रखा गया है। दिसंबर 1967 में भारत को पहला सबमरीन रूस से मिला था। यह स्कॉर्पिन श्रेणी की उन 6 पनडुब्बियों में से पहली पनडुब्बी है, जिसे भारतीय नौसेना में शामिल गया है। फ्रांस के सहयोग से सबमरीन प्रॉजेक्ट-75 (कुल लागत 23,652 करोड़ रुपए) के तहत इसका निर्माण किया गया है। इसका वजन 1565 टन है।
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