कोलकाता। ध्वनि प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच कोलकाता के एक टैक्सी ड्राइवर ने अलग ही उदाहरण पेश किया है। दीपक दास नामक इस ड्राइवर ने पिछले 18 साल में एक बार भी हॉर्न का इस्तेमाल नहीं किया। इस कार्य के लिए उन्हें पुरस्कृत भी किया जा चुका है। 52 साल के दीपक ने अन्य लोगों को भी प्रेरित करने का अभियान चला रखा है। दीपक का कहना है कि इससे ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी। अगर ड्राइवर ‘नो-हॉर्न’ पॉलिसी का पालन करते हैं तो ड्राइव करते समय वे ज्यादा अलर्ट रहते हैं। दीपक का सपना कोलकाता को नो-हॉर्न सिटी बनाने का है। दीपक के अनुसार एक बार वे किसी पैसेंजर को गोल्फ ग्रीन एरिया में ड्रॉप करने के बाद स्कूल के सामने आराम कर रहे थे तभी वहां से गुजर रही कारों की हॉर्न से उनकी नींद टूट गई। उसी दिन से उन्होंने हॉर्न नहीं बजाने का फैसला कर लिया। शुरुआत में लोग उन्हें मेंटली डिस्टर्ब समझने लगे लेकिन अब इसी आदत के कारण समाज में उन्हें सम्मान मिल रहा है।
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