नई दिल्ली। तीन तलाक पर रोक लगाने वाले विधेयक को लोकसभा ने पारित कर दिया है। एक साथ तीन बार बोल कर दिया गया तलाक अब अवैध होगा। ऐसा करने वाले पुरुष को तीन साल के कारावास की सजा होगी। विधेयक अब राज्यसभा में भेजा जाएगा। वहां से पारित होने के बाद राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून देश में लागू हो जाएगा।
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों का संरक्षण) विधेयक पर लोकसभा में गुरुवार शाम को वोटिंग कराई गई। अधिकतर सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया। विधेयक को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया था। दिन भर चली बहस के बाद वोटिंग हुई। संशोधन को लेकर विपक्ष के कई प्रस्ताव खारिज कर दिए गए। एमआईएम के सांसद ओवैसी के प्रस्ताव के पक्ष में मात्र 2 वोट और विपक्ष में 241 वोट पड़े। बीजेडी के भर्र्तहरि महताब, कांग्रेस की सुष्मिता देव और सीपीआईएम के ए. संपथ नेभी संशोधन प्रस्ताव पेश किए थे। ये सभी बहुमत से खारिज कर दिए गए।
नया कानून सिर्फ तलाक-ए-बिद्दत यानी एक साथ तीन तलाक पर ही लागू होगा। एक साथ तीन तलाक की पीड़ित महिलाओं को मजिस्ट्रेट के पास जाने का अधिकार मिलेगा और वे अपनी एवं बच्चों की सुरक्षा व जरूरतों की मांग कर सकेंगी। पीड़िता मजिस्ट्रेट से अपने नाबालिग बच्चे की कस्टडी भी मांग सकेंगी। किसी भी तरह से दिया गया तीन तलाक, मौखिक, लिखित, ईमेल, मेसेज या वॉट्सऐप पर अवैध और अमान्य होगा।
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