इंदौर। अब कोई भी व्यक्ति स्कूल के समय और शाम 7 बजे से प्रात: 8 बजे के बीच बच्चों से कार्य नहीं करा सकेगा। अगर ऐसा किया जा रहा है तो बिना वारंट के संबंधित व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है। अगर कोई छात्र एक महीने तक बिना पूर्व सूचना दिए स्कूल से गायब है तो संबंधित स्कूल के हेडमास्टर या प्राचार्य की जिम्मेदारी है कि वह बच्चे के बारे में पता लगाएं और उसे स्कूल लाएं। यह भी देखे कि स्कूल की समयावधि में वह श्रमिक के रूप में कहीं कार्य तो नहीं कर रहा है।
भारत सरकार के श्रम विभाग के डिप्टी कमिश्नर डॉ० ओंकार शर्मा ने यह जानकारी दी। वे यहां ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय कैपेसिटी बिल्डिंग कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी भी बच्चे से बिना विश्राम के 3 घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता। फिल्मों, नाटकों और मनोरंजन माध्यमों के लिए कोई भी बच्चा 5 घंटे से ज्यादा कार्य नहीं करेगा। निर्माता को बच्चों से कार्य लेने से पहले जिला कोर्ट अथवा कलेक्टर की अनुमति लेनी होगी। अनुमति मिलने के बाद फिल्म निर्माता को राष्ट्रीयकृत बैंक में उस बच्चे के खाते में 20 प्रतिशत राशि भी जमा करानी होगी। डॉ० शर्मा ने प्रदेश के श्रम विभाग के अधिकारियों को कानून में किए गए संशोधन की जानकारी देते हुए बताया कि घरों और समाज के बीच रह कर श्रम कानूनों उल्लंघन करने वालों कैसे सलाखों के पीछे पहुंचाया जा सकता है।
पद्मश्री शांता सिन्हा ने कहा कि अब बच्चों को स्कूलों में भर्ती कराने के लिए युद्धस्तर पर कार्य करने होंगे। प्रदेश के श्रमायुक्त शोभित जैन ने अधिकारियों से कहा कि हमें बच्चों के जीने के अधिकार पर कार्य करना होगा। बालश्रम की सबसे बड़ी मजबूरी गरीबी है। इस बात पर ध्यान रखते हुए उन परिवारों को शासन की विभिन्न योजनाओं से जोड़ें। कार्यशाला के पहले दिन अतिरिक्त श्रमायुक्त प्रभात दुबे, यूनीसेफ के प्रतिनिधि पी.जे. लोलीचेन, यूनिसेफ के सलाहकार गुरजीत रावत सहित पूरे प्रदेश के श्रम अधिकारी व श्रम निरीक्षक उपस्थित थे।
राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना और केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए पेंसिल पोर्टल के बारे में भी जानकारी दी गई। कोई भी नागरिक यदि कहीं बाल श्रम होते देखता है तो स्मार्ट फोन के माध्यम से पेंसिल पोर्टल पर इसकी शिकायत कर सकता है। इस शिकायत पर जिलों में तैनात नोडल अधिकारी कार्रवाई करेंगे। उन अधिकारियों को 48 घंटे में प्रथम जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। साथ ही 21 दिनों में संपूर्ण कार्रवाई की जानकारी देनी होगी। इस पोर्टल के माध्यम से शिकायतकर्ता उसके द्वारा की गई शिकायत की ट्रेकिंग भी कर सकता है।
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