नई दिल्ली। आधार नंबर से जुड़ी निजी जानकारियां लीक होने संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए भारतीय पहचान पत्र प्राधिकरण (यूआईडीएआई) 1 जून 2018 से वर्चुअल आईडी लागू करेगा। इसके तहत आधार कार्डधारक को सिम वेरीफिकेशन या अन्य कार्यों के लिए 12 अंकों की बायोमीट्रिक आईडी देने की जरूरत नहीं होगी बल्कि उसकी जगह 16 अंकों का एक नंबर देना पड़ेगा। यह नंबर हर आधार कार्डधारक को यूआईडीएआई की वेबसाइट से मिलेगा। कार्डधारक को एक से ज्यादा वर्चुअल आईडी जनरेट करने की छूट होगी। नया वर्चुअल आईडी जनरेट होते ही पुराना नंबर स्वत: खारिज हो जाएगा। इस वर्चुअल आईडी और कार्डधारक के बायोमीट्रिक्स (नाम, पता और फोटो) के आधार पर मोबाइल कंपनी जैसी कोई भी अधिकृत एजेंसी उसका वेरीफिकेशन कर सकती है। यूआईडीएआई सीमित केवाईसी की अवधारणा को भी लागू करने जा रहा है। इसके तहत दूरसंचार कंपनियों या ऐसी किसी अधिकृत एजेंसी को आधार कार्डधारक के बारे में सिर्फ सीमित जानकारी मुहैया कराई जाएगी।
16 अंकों का नंबर खुद जनरेट करना होगा
यूआईडीएआई 1 मार्च तक इसके लिए जरूरी सॉफ्टवेयर जारी करेगा। पहचान प्रामाणीकरण से जुड़ी सभी एजेंसियों को 28 मार्च तक नए सिस्टम को अपनाना होगा। इस समय सीमा में नए सिस्टम को नहीं अपनाने वाली एजेंसियों का पंजीकरण समाप्त कर दिया जाएगा। इन एजेंसियों को कार्डधारक की ओर से वर्चुअल आईडी जनरेट करने की अनुमति नहीं होगी यानी यह काम कार्डधारक को खुद करना होगा।
नए सॉफ्टवेयर के काम शुरू करते ही आधार कार्डधारक यूआईडीएआई या आधार एनरोलमेंट सेंटर की वेबसाइट और मोबाइल के आधार एप्लीकेशन पर जाकर वर्चुअल आईडी जनरेट कर सकेंगें। आधार कार्डधारक को किसी सेवा प्रदाता कंपनी को अपने फिंगरप्रिंट के साथ सिर्फ यह वर्चुअल नंबर देना होगा। इस नंबर की अवधि सीमित होगी। अगर अपना वर्चुअल आईडी भूल गए तो उसे दोबारा हासिल किया जा सकेगा।
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