नई दिल्ली। भाजपा नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने पीएनबी घोटाले को लेकर अपनी ही सरकार से 10 सवाल पूछे हैं। सिन्हा ने कहा है कि इस घटना से देश के बैंकिंग सिस्टम को हिला दिया है। उन्होंने कहा कि यह माना जा सकता है कि वित्त मंत्री सभी संस्थाओं पर नजर नहीं रख सकते हैं लेकिन इस आधार पर वे जिम्मेदारियों से बच तो नहीं सकते।
सिन्हा के 10 सवाल
1. नीरव मोदी का घोटाला 2011 में शुरू हुआ। सरकार बताए कि यूपीए सरकार में कितने एलओयू (लेटर आॅफ अंडरस्टैंडिंग) दिए गए। फिर मई 2014 में एनडीए सरकार आने के बाद कितने एलओयू जारी किए?
2. सभी एलओयू की कुल रकम कितनी है?
3. एलओयू कितनी अवधि के लिए थे? 90 दिन, 180 दिन, 365 दिन या उससे भी ज्यादा?
4. हर एलओयू पर विदेशी बैंकों से कितना पैसा निकाला गया?
5. बताया जा रहा है कि नीरव मोदी ने 200 शेल कंपनियां बनाई थीं, जिनके जरिए लेनदेन हुआ, लेकिन सरकार के दावे का क्या हुआ कि नोटबंदी के बाद ऐसी सारी फजी कंपनीज बंद हो गई हैं?
6. कितने मामलों में एलओयू की राशि पीएनबी को वापस मिली? कितने एलओयू की गारंटी पीएनबी को नहीं लौटाई गई?
7. अगर किसी विदेशी बैंक को समय पर पैसे नहीं मिले तो क्या उसने पीएनबी को सूचना दी थी? कितने मामलों में बकाया वसूली के लिए पीएनबी की गारंटी का इस्तेमाल किया गया?
8. इसमें विदेशी धन का ट्रांजेक्शन भी शामिल था तो फिर बताया जाए कि आखिर आरबीआई की निगाह से लेनदेन
कैसे बचा रह गया?
9. जब जांच एजेंसियां तुरंत ही नीरव मोदी की जब्त की गई सम्पतियों को कैलकुलेट कर सकती हैं तो फिर वे साधारण जानकारियां क्यों नहीं साझा कर रही हैं?
10. इस कन्फ्यूजन से किसे फायदा हो रहा है? हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस खबर की प्रासंगिकता तभी तक है, जब तक कोई बड़ी खबर मीडिया को मिल नहीं जाती? उसके बाद फिर नीरव मोदी भी माल्या की तरह इतिहास बन जाएंगे।