नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) शिवशंकर मेनन ने कहा कि डोकलाम गतिरोध पर चीन का राजनीतिक लक्ष्य भारत और भूटान को बांटना था। सरकार ने जिस तरह से मुद्दे को संभाला, इसके लिए उन्होंने उसकी तारीफ की। पूर्व के संप्रग शासन में वर्ष 2010 से 2014 के बीच एनएसए रह चुके मेनन ने यह भी कहा कि देश की सीमा का ध्यान रखने के लिए एकीकृत रुख की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एक कारण है कि पिछले साल हमने डोकलाम में जो गतिविधि देखी इसलिए नहीं कि उनके (चीन) पास स्पष्ट सैन्य विकल्प या विशिष्टता थी बल्कि भूटानियों को हमसे अलग करने का राजनीतिक लक्ष्य था।
भारत और भूटान का करीबी संबंध हैं और नई दिल्ली भूटान को सैन्य समर्थन देता है। उन्होंने कहा कि चीन भूटानियों को दिखाना चाहता था कि भारत अपनी हिफाजत नहीं कर सकता और इस पर भूटान को भड़काने की भी कोशिश की। प्रतिक्रिया का जो जरिया हमने चुना उस पर मुझे फख्र है। सीमा प्रबंधन के विविध पहलुओं का जिक्र करते हुए मेनन ने कहा कि सैन्य बलों को ऐसे मुद्दों पर पूर्वोत्तर के राज्यों के सीमाई क्षेत्र में लोगों को भरोसे में लेना चाहिए।