कहां चली गई गौरैया

इंदौर। हमारे बेहद करीब रहने वाली कई प्रजातियों के पक्षी और चिड़िया अब गायब हो चुके हैं। उन्हीं में से एक है स्पैरो अर्थात नन्हीं से सी चिड़िया गौरैया। कभी बबूल के पेड़ पर सैकड़ों की संख्या में घोंसले लटके दिखते थे और गौरैया के साथ उसके चूजे शोर मचाते रहते थे। अब गौरैया बहुत कम ही दिखाई देती है। हमें मालूम ही नहीं पड़ा कि हमारे दैनिक जीवन से गौरैया का साथ कब छूट गया। पर्यावरण संरक्षण में गौरैया की खास भूमिका है। दुनियाभर में 20 मार्च गौरैया संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् मो. ई. दिलावर के प्रयासों से इस दिवस को गौरैया के लिए रखा गया। वर्ष 2010 में पहली बार यह दिवस पूरी दुनिया में मनाया गया था।