मात्र 23 दिन में सुनवाई पूरी, दुष्कर्मी को फांसी की सजा

इंदौर। मध्यप्रदेश के सबसे बड़े शहर
इंदौर में दुष्कर्म के एक मामले में कोर्ट ने मात्र 23 दिनों में सुनवाई पूरी कर आरोपी को फांसी की सजा सुना दी। राजवाड़ा चौक में माता-पिता के बीच सोई चार माह की बच्ची के अपहरण, ज्यादती और हत्या के मामले कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई है।
शनिवार को आरोपी नवीन को पुलिस कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट लेकर पहुंची क्योंकि इसके पहले कोर्ट परिसर में एक बार आरोपी की जमकर धुनाई कर चुके थे। जज ने सात दिनों तक प्रतिदिन सात-सात घंटे सिर्फ इसी केस को सुना और 23वें दिन फैसला सुना दिया। नाबालिग से दुष्कर्म पर फांसी की सजा का कानून लागू होने के बाद यह पहला मामला है जिसमें आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई है।
शासन द्वारा नियुक्त विशेष लोक अभियोजक मोहम्मद अकरम शेख ने कोर्ट के समक्ष अंतिम बहस में में कहा कि आरोपी नवीन उर्फ अजय गड़के की पत्नी रेखा मृत बच्ची के पिता की मौसी है। आरोपी ने पत्नी को छोड़ रखा है। आरोपी बच्ची की मां के पास आकर कहता था कि वह पत्नी से समझौता करवा दे। बच्ची की मां ने इसके लिए मना कर दिया था।
20 अप्रैल 2018 को तड़के 4 बजे वह माता-पिता के पास सोई चार माह की बच्ची को उठाकर राजवाड़ा चौक के समीप स्थित श्रीनाथ पैलेस बिल्डिंग के तलघर में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। बाद में उसे ऊपर से फेंक दिया, जिससे बच्ची की मौत हो गई थी।
विशेष लोक अभियोजक शेख ने कहा कि डीएनए रिपोर्ट में प्रमाणित हुआ है कि आरोपी के जब्त कपड़े, जूते व साइकिल पर जो खून पाया गया, वह बच्ची का था। ट्रायल में डॉक्टरों ने बयान देकर प्रमाणित किया कि बच्ची पर लैंगिक हमला हुआ था। सीसीटीवी फुटेज में आरोपी बच्ची को लेकर जाते दिखाई दिया। बच्ची की मां और आरोपी की पत्नी ने भी फुटेज देखकर पहचाना कि यही आरोपी है। शेख ने कोर्ट में कहा कि 29 गवाहों के बयान से प्रमाणित हुआ है कि आरोपी ने ही बच्ची से दुष्कर्म कर उसकी हत्या की है।
अभियोजन पक्ष ने कोर्ट से कहा कि जिस तरह शरीर के किसी हिस्से के सड़ने पर शरीर बचाने के लिए उस हिस्से को काट देना आवश्यक होता है, उसी तरह आरोपी समाज के लिए नासूर है जिसे समाज से हटाना आवश्यक है। अभियोजन पक्ष ने कोर्ट से गुहार करते हुए कहा आरोपी को फांसी की सजा सुनाई जाए। कोर्ट ने बचाव पक्ष के वकील को भी सुना। दोनों पक्षों की अंतिम बहस सुनने के बाद फैसले के लिए 12 मई तय कर दी और 12 मई को कोर्ट ने आरोपी को फांसी की सजा सुना दी।
23 दिन में आया फैसला - वारदात के बाद मात्र 7 दिन में पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश कर दिया। 7 दिन ही कोर्ट में चली ट्रायल, जिसमें 29 गवाहों के बयान हुए। 7 दिनों में सागर स्थित फॉरेंसिक लैब से डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट मिली। उल्लेखनीय है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने पॉस्को कानून में संशोधन कर 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार करने वालों को मौत की सजा का प्रावधान किया है। इसी कानून के तहत आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई है।