देहरादून। पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियां चाहती हैं कि संतगण और शंकराचार्य उनके प्रवक्ता के रूप में कार्य करें। यह सब सनातन धर्म के लिए ठीक नहीं है। वर्तमान समय में एक संत या सच्चे शंकराचार्य का अपने पद पर बने रहना काफी कठिन हो गया है। विदेशी षड्यंत्रकारी साधु-संतों और शंकराचार्यों को कमजोर कर वैदिक परंपराओं तथा भारत की एकता, अखंडता व संप्रभुता को कमजोर करने की साजिश लगातार रच रहे हैं।
शंकराचार्य वर्तमान में उत्तराखंड की यात्रा पर हैं। राज्य सरकार ने उन्हें राजकीय अतिथि का दर्जा दिया है। बदरीनाथ धाम की ओर जाते हुए वे जोशीमठ ज्योतिर्मठ में रुके। इस दौरान उन्होंने कहा कि जोशीमठ पीठ का विशेष स्थान है। भगवान बदरीनाथ की यात्रा जोशीमठ नृसिंह दर्शन के बाद ही पूरी व सफल मानी जाती है। इसलिए आॅल वेदर बाईपास या अन्य कारणों से बदरीनाथ यात्रा सड़क को बाईपास पर न मोड़ा जाए। बदरीनाथ की ओर जाने वाली सड़क जोशीमठ ज्योर्तिमठ से होकर ही गुजरे। शंकराचार्य ने कहा कि प्रदेश एवं केंद्र सरकार इस मुद्दे पर तुरंत ध्यान दें। आॅल वेदर बाईपास या अन्य कारणों से बदरीनाथ यात्रा मार्ग को बाईपास पर ले जाना धर्मसंगत नहीं है और वैदिक परंपराओं से भी खिलवाड़ है। गंगा की सफाई के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नदी गंगा को कोर्ट द्वारा जीवित का दर्जा दिए जाने के बाद भी गंगा के लिए धरातल पर सरकारें कुछ नहीं कर रही हैं जो चिंताजनक है। देश में गाय, गंगा की स्थिति विचारणीय हो गई है।