जबलपुर। नर्मदा और सहायक नदियों की 4 हजार किलोमीटर से भी अधिक की पदयात्रा करने वाले साहित्यकार अमृतलाल वेगड़ का आज निधन हो गया। पिछले कुछ महीनों से उनका स्वास्थ्य खराब था।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने कहा कि मां नर्मदा के जीवनदायिनी असीमित स्वरूप को रंगों और शब्दों में अभिव्यक्त करने वाले मूर्धन्य साहित्यकार अमृतलाल वेगड़ को श्रद्धांजलि। आपका जाना पर्यावरण, साहित्य और नर्मदा सेवकों सहित देश के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।
श्री वेगड़ का जन्म 3 अक्टूबर 1928 को जबलपुर में हुआ था। मूलत: गुजराती संस्कृति से ताल्लुक रखने वाले श्री वेगड़ ने 1948 से 1953 तक शांति निकेतन में कला का अध्ययन किया। नर्मदा के प्रति उनकी गहरी आस्था थी। वे 1977 में 50 वर्ष की आयु में पहली बार नर्मदा परिक्रमा पर निकले थे। 82 वर्ष की आयु में भी उन्होंने नर्मदा परिक्रमा की थी। उनके द्वारा लिखित ‘सौंदर्य की नदी नर्मदा’ प्रसिद्ध पुस्तक है। 2018 में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा श्री वेगड़ को मानद् उपाधि प्रदान की गई थी। श्री वेगड़ का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने से जबलपुर स्थित उनके निवास पर सादे समारोह में उन्हें उपाधि प्रदान की गई थी। श्री वेगड़ द्वारा लिखित नर्मदा वृतांत की तीन पुस्तकें हिंदी, गुजरती, मराठी, बांग्ला, अंग्रेजी और संस्कृत में प्रकाशित हुईं। गुजराती और हिंदी में साहित्य अकादमी पुरस्कार और महापंडित राहुल सांकृत्यायन जैसे अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से उन्हें सम्मानित किया गया था।