नई दिल्ली। मुनिश्री तरुणसागरजी का बीती रात निधन हो गया। वे 51 वर्ष के थे। बीस दिन पहले उन्हें पीलिया हो गया था। उपचार के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने गत दिवस उपचार रुकवा दिया और सल्लेखना का निर्णय लिया था। पूर्वी दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके में राधापुरी जैन मंदिर में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार दिल्ली मेरठ हाइवे में स्थित तरुणसागरम तीर्थ में शनिवार दोपहर किया गया।
दीक्षा लेने के पूर्व मुनिश्री तरुण सागरजी का नाम पवन कुमार जैन था। उनका जन्म मध्यप्रदेश के दमोह जिले में 26 जून 1967 को हुआ था। 14 साल की उम्र में ही उन्होंने दीक्षा ले ली थी। उनकी शिक्षा-दीक्षा छत्तीसगढ़ में हुई थी। प्रवचनों के कारण उन्हें क्रांतिकारी संत कहा जाता था। फरवरी 2002 में मप्र सरकार और मार्च 2003 में गुजरात सरकार ने भी उन्हें राजकीय अतिथि घोषित किया था। तरुण सागरजी ने 'कड़वे प्रवचन' के नाम से पुस्तकों की सीरीज शुरू की थी। कड़वे प्रवचन पूरे देश में काफी चर्चित रहे।