नई दिल्ली। एससी-एसटी को प्रमोशन में आरक्षण के मामले में याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को निर्णय सुना दिया। कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था को खारिज नहीं करते हुए इसे राज्य सरकारों पर छोड़ दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर राज्य सरकारें चाहें तो वे प्रमोशन में आरक्षण दे सकती हैं।
पांच सदस्यों वाली संविधान पीठ ने एकमत से यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने केंद्र सरकार का आवेदन खारिज कर दिया जिसमें मांग की गई थी कि एससी-एसटी को प्रमोशन में आरक्षण दिए जाने की व्यवस्था में उनकी कुल आबादी पर विचार किया जाए। कोर्ट ने कहा कि प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए सरकार को एससी और एसटी के पिछड़ेपन के आधार पर डेटा जुटाने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने नागराज मामले में वर्ष-2006 में दिए गए अपने फैसले पर पुनर्विचार से भी इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उस फैसले को सात सदस्यों की पीठ के पास भेजने की जरूरत भी नहीं है जिसमें एससी-एसटी को नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए शर्तें तय की गई थीं। कोर्ट ने उक्त फैसला उन याचिकाओं पर सुनाया जिसमें मांग की गई थी कि सात सदस्यों की पीठ वर्ष-2006 के उस फैसले पर फिर से विचार करे जिसमें एससी-एसटी कर्मचारियों को नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण का लाभ दिए जाने के लिए शर्तें तय की गई थीं। एम. नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष-2006 में कहा था कि एससी-एसटी के लिए प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था को लागू करने से पहले राज्यों को उनके पिछड़ेपन, सरकारी सेवाओं में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व और संपूर्ण प्रशासनिक दक्षता से जुड़े कारणों की जानकारी देनी होगी।