मुंबई। रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य की एक टिप्पणी ने पूरे देश में एक नई बहस की शुरूआत कर दी है। अर्थव्यवस्था से संबंधित एक कार्यक्रम में डिप्टी गवर्नर कहा है कि अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए आरबीआई को अधिक स्वायत्तता देने की जरूरत है। स्वायत्तता को नजरअंदाज करना विनाशकारी हो सकता है। आरबीआई की नीतियां नियमों पर आधारित होनी चाहिए।
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि फाइनेंशियल और मैक्रोइकॉनमिक स्टेबिलिटी के लिए यह जरूरी है कि रिजर्व बैंक की स्वायत्तता बढ़ाई जाए। आरबीआई को पब्लिक सेक्टर बैंकों पर रेग्युलेटरी और सुपरवाइजरी के लिए अधिक पॉवर दिया जाए। डिप्टी गवर्नर की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब केंद्र सरकार देश के पेमेंट सिस्टम के लिए एक अलग रेग्युलेटर की संभावना पर विचार कर रही है। आचार्य ने यह भी कहा कि कई बार आरबीआई पर यह दबाव भी डाला गया है कि कुछ बैंकों को लैंडिंग के नियमों में ढील दी जाए जबकि उनका कैपिटल बेस काफी कमजोर है। आरबीआई की स्वायत्तता को नजरअंदाज करना विनाशकारी हो सकता है। इससे केपिटल मार्केट में भरोसे का संकट पैदा हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज के कर्ज संकट के चलते सितंबर के बाद से ही फाइनेंशियल मार्केट में अस्थिरता की स्थिति है। देश की सबसे बड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियों में से एक के कर्ज संकट में फंसने के बाद से देश की पूरी बैंकिंग व्यवस्था की स्थिति को लेकर ही चिंता जताई जा रही है।