मुंबई। महाराष्ट्र सरकार के एक निर्णय ने पूरी सरकार के कामकाज को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। सरकार ने शिर्डी सांईबाबा मंदिर से 500 करोड़ रुपए कर्ज लिया है। इस राशि का उपयोग एक बांध के निर्माण में किया जाएगा। सामाजिक कार्यकर्ताओं और कांग्रेस ने सरकार के इस निर्णय का विरोध करते हुए कहा है कि यह सरकार की आर्थिक विफलता है।
अहमद नगर जिले की निलवंडे बांध परियोजना के लिए राज्य सरकार ने शिर्डी ट्रस्ट से बिना ब्याज के 500 करोड़ रुपए उधार लिए हैं जबकि केंद्र सरकार द्वारा इस परियोजना के लिए जून माह तक 2232 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। सांई बाबा ट्रस्ट के चेयरमैन सुरेश हवारे ने कहा है कि यह कर्ज बिना ब्याज के देने का निर्णय ट्रस्ट द्वारा सर्वसम्मति से लिया गया है। इस बांध की नहरों से अहमद नगर की 13 तहसीलों को पानी मिलेगा।
सामाजिक कार्यकर्ताओं और महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है। चव्हाण ने इसे सरकार की आर्थिक विफलता बताया है। चव्हाण ने कहा कि सरकार द्वारा मंदिर से बिना ब्याज का पैसा लेना इस बात का सबूत है कि राज्य सरकार का आर्थिक मैनेजमेंट पूरी तरह से बिगड़ गया है। बीजेपी-शिवसेना सरकार के राज में महाराष्ट्र लगभग 5 लाख करोड़ का कर्जदार हो गया है। राज्य की विकास योजनाओं का खर्च टैक्स के रूप में जमा धनराशि से होना चाहिए लेकिन राज्य को कर्जदार बनाने के बाद इस सरकार की नजर अब मंदिरों और भक्तों के पैसे पर है।
कोपरगांव के सामाजिक कार्यकर्ता संजय काले ओर अधिवक्ता संदीप कुलकर्णी का कहना है कि ट्रस्ट द्वारा इतनी बड़ी राशि उधार देने से ट्रस्ट के कोष में कमी आई है। इस कारण ट्रस्ट के नियमित कार्यों के साथ ही शिर्डी के विकास कार्यों पर भी असर पड़ेगा। इस कदम से ट्रस्ट अपने 6 हजार संविदा कर्मियों को वेतन नहीं दे सकेगा। इसके अलावा आयकर विभाग ने साल 2016 के लिए मंदिर ट्रस्ट से 183 करोड़ रुपए की मांग की है। यह मामला अभी कोर्ट में है। अगर फैसला पक्ष में नहीं आता है तो ट्रस्ट को बतौर आयकर 1300 करोड़ रुपए देने पड़ सकते हैं। काले ने यह दावा भी किया है कि हाईकोर्ट ने निलवंडे बांध के लिए 500 करोड़ रुपए देने की अनुमति नहीं दी है। हम इस मामले को कोर्ट के समक्ष ले जाएंगे।