नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर सुनवाई 10 जनवरी तक टल गई। शुक्रवार को कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच को यह केस नई बेंच के पास भेजने के बारे में निर्णय करना था।
पूर्व में तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। अब गठित होने वाली नई बेंच इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई करेगी। उल्लेखनीय है कि इलाहबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को दिए निर्णय में कहा था कि 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों में बराबर बांट दिया जाए। इस निर्णय को किसी भी पक्ष ने नहीं माना और सुप्रीम कोर्ट में इसे को चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट में यह केस आठ साल से लंबित है।
लोकसभा चुनाव नजदीक होने के कारण राम मंदिर मुद्दे पर राजनीति भी गरमा रही है। केंद्र में एनडीए की सहयोगी शिवसेना ने कहा है कि अगर 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मंदिर नहीं बनता है तो यह जनता से धोखा होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत दिनों एक साक्षात्कार में कहा कि न्यायिक प्रकिया पूरी होने का इंतजार करना चाहिए। निर्णय आने के बाद एक सरकार के तौर पर जो भी जिम्मेदारी होगी हम उसे पूरा करने के लिए सभी प्रयास करेंगे। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने अध्यादेश का विरोध करते हुए कहा कि सभी पक्षों को सुप्रीम कोर्ट का आदेश ही मानना चाहिए।