पटना। बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में सीएम नीतीश कुमार भी अब जांच के घेरे में आ गए हैं। दिल्ली की विशेष पॉक्सो कोर्ट ने सीबीआई को सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ भी जांच के आदेश दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम में बच्चियों के यौन शोषण की बात सामने आई थी। 28 मई-2018 को इस मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी 31 मई को शेल्टर होम से 46 नाबालिग लड़कियों को मुक्त कराया गया था। इस मामले में शेल्टर होम के संचालक ब्रजेश ठाकुर, राज्य की पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री मंजू ठाकुर समेत 20 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। मामले की जांच सीबीआई कर रही है। 7 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए केस को पटना से दिल्ली के साकेत पास्को कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था। ब्रजेश ठाकुर को समर्थन देने की बात सामने आने पर बिहार की तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री मंजू ठाकुर को इस्तीफा देना पड़ा था।
कोर्ट ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड मामले में आरोपी डॉ. अश्विनी के आवेदन पर सीएम के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। डॉ. अश्विनी पर आरोप है कि वह बालिका गृह में बच्चियों का शोषण करने से पहले उन्हें नशे के इंजेक्शन देता था। वह न्यायिक हिरासत में जेल में है। विशेष पॉक्सो कोर्ट ने पटना के सीबीआई एसपी को जांच के आदेश दिए हैं। इसके तहत समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव अतुल प्रसाद और तत्कालीन डीएम धर्मेंद्र सिंह के खिलाफ भी जांच होगी। शेल्टर होम कांड में गिरफ्तार डॉक्टर अश्विनी ने अपने वकील के माध्यम से कोर्ट को आवेदन दिया है। अश्विनी ने मांग की गई थी कि शेल्टर होम के संचालन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, समाज कल्याण प्रमुख सचिव अतुल प्रसाद और तत्कालीन डीएम धर्मेंद्र सिंह की भूमिका की जांच की जाए। वर्ष 2013 से ही शेल्टर होम को नियमित भुगतान किया जाता रहा। बिना मिलीभगत और बगैर प्रशासनिक संरक्षण के शेल्टर होम की घटना संभव नहीं थी। रूटीन जांच में शेल्टर होम के संचालन के मामले को अधिकारी हमेशा क्लीन चिट देते रहे।