नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपे जवाब में कहा है कि वीवीपैट की पर्चियों की गणना का वर्तमान तरीका ही उपयुक्त है। आयोग ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केंद्र से वीवीपैट की पर्चियों की गणना की प्रणाली को उचित बताते हुए कहा है कि यदि यह संख्या बढ़ाई गई तो इससे चुनाव के नतीजे घोषित करने में काफी विलंब होगा।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चन्द्रबाबू नायडू के नेतृत्व में 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। जिसमें कहा गया है कि अगले महीने होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में वोटिंग मशीनों की कम से कम 50 प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों का मिलान वोटिंग मशीन द्वारा दर्शाए गए आंकड़ों से किया जाए। निर्वाचन आयोग इस समय विधानसभा चुनाव के लिए एक निर्वाचन क्षेत्र से किसी एक मतदान केंद्र और लोकसभा चुनाव में मतों की गणना के दौरान प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के किसी एक मतदान केंद्र की वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से मिलान करता है जिसे आकस्मिक जांच कहा जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त याचिका की सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा था। निर्वाचन आयोग द्वारा प्रस्तुत जवाब में कहा गया है कि लोकसभा संसदीय क्षेत्र के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में वीवीपैट की 50 प्रतिशत पर्चियों के सत्यापन के लिए गणना में लगने वाला समय करीब 6 दिन बढ़ जाएगा।
निर्वाचन आयोग द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत हलफनामे में कहा गया है कि कई विधानसभा क्षेत्रों में 400 से अधिक मतदान केंद्र हैं जिनके लिए वीवीपैट पर्चियों की गणना पूरी करने में करीब आठ-नौ दिन की जरूरत होगी। इस गणना के लिए चुनाव अधिकारियों को व्यापक प्रशिक्षण देना होगा। चुनाव कार्य में तैनात अधिकारियों की संख्या में भी वृद्धि करनी पड़ेगी। इससे नतीजे देरी से आएंगे। आयोग ने कोर्ट से यह भी आग्रह किया है कि वर्तमान प्रणाली को लोकसभा चुनाव में भी जारी रहने दिया जाए। आयोग का कहना है कि सत्यापन की प्रक्रिया में परिवर्तन करने से विश्वास स्तर पर बहुत ही मामूली फर्क पड़ेगा। विश्वास का वर्तमान स्तर 99.9936 प्रतिशत से अधिक है।